DIPR पर सुजस पत्रिका की छपाई को लेकर आरोप लगते रहे है। लेकिन अब वित्त विभाग ने अंकेक्षण विभाग की देखरेख में घोटाले की जांच के आदेश दिया है। जिसमें पिछले दस साल का कार्य ऑडिट किया जाएगा।
राजस्थान मुख्यमंत्री के स्वंय के विभाग पर सुजस को लेकर आरोप लगते रहे है। आरोप था कि DIPR सुजस पत्रिका की 5 लाख कॉपी की जगह लगभग 2 लाख कॉपी ही छपवाता है। बाकी 3 लाख के आसपास सुजस केवल कागज़ों में दिखाई जा रही है। एक सुजस लगभग 30 रूपये की कीमत की है अगर 3 लाख सुजस का मूल्य आंखें तो हर महीने 90 लाख रूपये का घोटाला किया जा रहा है और ये घोटाला कई सालों से जारी है।
सिन्स इंडिपेंडेन्स की टीम की पड़ताल के बाद ये जांच के आदेश दिए है
वित्त विभाग के निर्देश पर अंकेक्षण विभाग के निदेशक की देखरेख में डीआईपीआर में व्याप्त सभी प्रकार के घोटालों, अनियमितताओं और पद के दुरुपयोग की जांच के लिए तीन सदस्यीय स्पेशल कमेटी का गठन किया है। जिसमें कमेटी ने निरीक्षण और पिछले दस साल के कार्यों का ऑडिट प्रारम्भ कर दिया है ।
स्पेशल कमेटी में दो सहायक लेखाधिकारी और एक लेखा अधिकारी को शामिल किया गया है। समिति मुख्य रुप से राजस्थान संवाद, सुजस के प्रकाशन और वितरण के अलावा विज्ञापन आदेश तथा उनके अनियमित भुगतान की जांच करेगी। इसके अतिरिक्त पिछले दस साल के दौरान प्रचार सामग्री के प्रकाशन, वितरण, होर्डिंग, बैनर, पुस्तिका आदि के दस्तावेजो की भी ऑडिट के जरिये पड़ताल करेगी।
स्पेशल टीम ऑडिट के माध्यम से घपलों के लिए दोषी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर तीन प्रतियो में राज्य सरकार को भेजेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर एसीबी सम्बंधित दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर अदालत में चालान पेश करेगी। जो अधिकारी पिछले चार साल के दौरान रिटायर हो चुके है या होने वाले है, वे भी एसीबी और स्पेशल टीम के दायरे में आएंगे। यदि कोई व्यक्ति डीआईपीआर से सम्बंधित अपनी शिकायत प्रेषित करना चाहता है तो वह निदेशक अंकेक्षण विभाग को भिजवा सकता है।
2018-2019 तक हर महीने 60 हज़ार और उसके बाद लगभग 2 लाख के आसपास ही सुजस छपवाई जा रही थी लेकिन अचानक अक्टूबर 2021 में इसकी संख्या बढाकर एक साथ 5 लाख कर दी गई। तब से अब तक हर महीने लगभग 1 करोड़ रूपये का घोटाला जारी है।
भारत सरकार कई साल से डिजिटलाइजेशन के फायदे बताकर मिनिस्ट्री समेत तमाम महकमों में कागज़ खपत काम करने के दावे कर रही है। एक ओर जहां साहित्य की दुकाने सुनी पड़ी है। एक ओर जहां पढ़ने वाले लोग अब किताबों से मोबाईल और ई रीडिंग पर शिफ्ट हो गए हैं। उस दौर में सुजस जिसमे सरकारी योजनाओं की प्रशंसा होती है उसको पढ़ कौन रहा है?
जब हमारी टीम ने इस मामले में जानकारी जुटाई थी तो पता लगा की अब तक लगभग 12 करोड़ रूपये का घोटाला कोई एक दिन में नहीं हुआ बल्कि इसकी तैयारी सालभर पहले ही कर ली गई थी। जिसके सबूत हम बहुत जल्द आपके सामने रखेंगे। वो कौन लोग हैं जो इस खेल में शामिल हैं, वो कौन डिपार्टमेंट से बाहर के लोग हैं जो फायदा उठा रहे हैं और फायदा पंहुचा रहे हैं ?