
Forts Of India: विरासत का शहर, और उसकी पहचान - हवा महल। यह महल जयपुर के बींचोबीच, सिटी पैलेस जो कि राजपूत साम्राज्य का मुख्य केंद्र है, के पास मौजूद है। अगर आप अपनी छुट्टी बिताने के लिए गुलाबी शहर जाने का मन बना रहे हैं तो अपनी बकेट-लिस्ट में सबसे पहला नाम हवामहल का रखिएगा।
महल का निर्माण कछवाहा शासक सवाई प्रताप सिंह ने वर्ष 1799 में किया था, उन्होंने झुंझुनू में "खेत्री महल" से महल के निर्माण की प्रेरणा ली थी।
महल का डिजाइन एक महान वास्तुकार- लाल चंद उस्ताद द्वारा सिटी पैलेस के विस्तार के रूप में किया गया था।
हवा महल सीधे महिला कक्ष उर्फ "ज़नाना" में शामिल हो गया था क्योंकि राजपूत महिलाएं पर्दा प्रथा के कारण किसी भी सार्वजनिक सभा या त्योहार में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होती थी।
राजपूत काल में महिलाओं की इज्जत और गौरव को सबसे ऊपर रखा जाता था और इसीलिए राजपूत और राजघराने की महिलाओं के साथ खास और शाही व्यवहार किया जाता था।
आम नागरिकों को शाही महिलाओं से मिलने की अनुमति नहीं होती थी क्योंकि उन्हें रानी और राजकुमारी के रूप में रखा जाता था।
इसीलिए हवामहल बनाया गया था ताकि हवामहल की 953 खिड़कियों के जरिए राजपूत राजकुमारियां और रानियां आसपास के किसी भी त्योहार, सार्वजनिक आयोजन या सभा को बिना उसमें शामिल हुए देख पाएं।
हवा महल जयपुर शहर के बीचोंबीच है, इसके आसपास काफी भीड़भाड़ वाला इलाका है क्योंकि शहर के आसपास का बाजार में पारंपरिक कपड़े, दुल्हन के लहंगे और राजपूत हस्तशिल्प की खरीदारी के लिए राजस्थान का सबसे अच्छा बाजार है।
इसके अलावा, प्रसिद्ध "रामचंद्र कुल्फी भंडार" और कई अन्य राजस्थानी व्यंजनों सहित खाने के लिए कई प्रकार के दुकानें हैं।
नाहरगढ़, जल महल, जयगढ़ और आमेर के प्रसिद्ध किलों के बाद अगर कुछ ऐसा है जो सबसे ज्यादा देखने लायक है और अन्य किलों की तरह महान वास्तुकला का उदाहरण है तो वो हवामहल ही है।
महल में एक संग्रहालय है जिसे 1983 में राजपूत साम्राज्य की महान विरासत को प्रदर्शित करते हुए स्थापित किया गया था।
महल के ऊपर से आपको शहर का ऐसा दृश्य देखने को मिलता है जो मन,दिल और दिमाग तीनों को मोहित करने के लिए काफी है। और महल के केंद्र में पानी का फव्वारा पर्यटकों का अच्छी हवा के साथ यात्रा के लिए स्वागत करता है।
हां जी! बन गया ना हवा महल देखने जाने का मन । रूको, जाने से पहले कुछ ये बातें जान लो।
महल बाहर से रात में बेहतर दिखता है क्योंकि राजस्थान पर्यटन विभाग ने इसके बाहर लाइटें लगाई हैं जो इसकी खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देती हैं।
महल की प्रत्येक मंजिल पर मंदिर हैं। पहली मंजिल पर शरद मंदिर मौजूद है जबकि दूसरी मंजिल पर रंगीन कांच के बने रतन मंदिर हैं।
विचित्र मंदिर, प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर शीर्ष तीन मंजिलों को सुशोभित करते हैं।
हवा महल रोजाना सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है।
भारतीय पर्यटक के लिए शुल्क INR 50 है जबकि विदेशियों के लिए शुल्क INR 200 है।
भारतीय छात्र के लिए शुल्क INR 20 है।
यह कहानी 1876 की है- जब वेल्स के राजकुमार और महारानी विक्टोरिया जयपुर शहर में घूमने आए थे और उन दोनों के स्वागत में जयपुर के राजा राजा राम सिंह ने शहर को गुलाबी रंग से रंगने का आदेश दिया था। गुलाबी रंग शहर में एक रोमांटिक आकर्षण पैदा करता है जो हर दिल को मोह लेता है।
उस दिन से इस परंपरा का निवासियों द्वारा पालन किया जाता रहा है। लेकिन अब शहर में पिंक कलर का होना अनिवार्य है।