दरअसल, बुधवार को हुई गहलोत कैबिनेट की बैठक में अडानी ग्रुप को 1500 मेगावाट का सोलर पार्क बनाने के लिए जमीन देने के फैसले को मंजूरी दी गई, जिसके बाद राहुल गांधी के विरोधाभासी रवैये को लेकर सियासी हलकों में चर्चाएं शुरू हो गई है।
गहलोत कैबिनेट में चार एजेंडे अडाणी से जुड़े रहे
आपको बता दें कि अडाणी ग्रुप और राजस्थान सरकार ने सोलर पार्क के लिए ज्वाइंट वेंचर कंपनी बनाई है, अब उसी को जमीन आवंटित की जाएगी। मंत्रिपरिषद की बैठक में राजस्थान सरकार की संयुक्त उद्यम कंपनी अदाणी रिन्यूबल एनर्जी पार्क को जिलावार जमीन का बंटवारा किया गया।
1500 मेगावाट का सोलर पार्क बनाने के लिए जैसलमेर के भीमसर, माधोपुरा, सदरासर गांव में 1324.14 हेक्टेयर, बाटयाडू और नेडान गांव में 276.86 हेक्टेयर जमीन देने पर सहमति बनी। वहीं, 30 मेगावाट के विंड सोलर हाइब्रिड पावर प्रोजेक्ट के लिए अडाणी ग्रुप को जैसलमेर के केरालियां गांव में 64.38 हेक्टेयर सरकारी जमीन लीज पर मिलेगी। गौरतलब है कि बुधवार को हुई गहलोत कैबिनेट की बैठक में राजस्व विभाग से जुड़े 5 मुद्दों पर फैसला लिया गया, जिसमें 4 फैसले अदाणी समूह के जमीन आवंटन से जुड़े रहे।
दोहरे मापदंड को लेकर सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
गहलोत सरकार के अडाणी समूह को जमीन देने के बाद अब लोग कांग्रेस के दोहरे रवैये को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। आपको बता दें कि रैली के दौरान राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर अडाणी-अंबानी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया और एयरपोर्ट, कोयला खदान, सुपर मार्केट आदि को निजी हाथों में देने की बात भी कही थी।
वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि गहलोत सरकार ने नियम के तहत अडाणी समूह को जमीन आवंटित की है, ऐसे में एक बार फिर पूंजीपतियों को लेकर कांग्रेस की नीतियों पर सवाल खड़े हो रहे है।