Rajasthan News: शहरी आबादी को उसके भूखंड का पट्टा आसानी से उपलब्ध कराने के लिहाज से राज्य सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान शुरू किया था। वर्ष 2021 में 2 अक्टूबर को यह अभियान शुरू किया गया था। इस अभियान में सरकार का लक्ष्य है कि दस लाख से भी अधिक पट्टे जारी किए जाएं। लेकिन कई लोग पट्टा तो ले लेते हैं पर लीज पूरी जमा नहीं कराते हैं।
इस लिहाज से राजस्थान सरकार ने अभियान में फ्री होल्ड पट्टा जारी करने पर फोकस किया है। फ्री होल्ड पट्टा लेने के लिए भूखंडधारी को दस वर्ष की लीज जमा करानी होती है। लेकिन यह लीज राशि अधिक होने के कारण गरीब भूखंडधारियों की जेब पर मार पड़ रही थी। गरीबों के लिए संवेदनशील प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार ने मामले में राहत देने का बड़ा फैसला किया है।
राजस्थान की गरीब आबादी को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार ने बड़ा फैसला किया। गरीब भूखंडधारियों को अब अधिक लीज नहीं देनी होगी। EWS व एलआईजी वर्ग को अधिक लीज नहीं देनी होगी।
अब लीज राशि की गणना आरक्षित दर के अनुसार नहीं होगी। नगरीय विकास विभाग ने आदेश जारी कर बदलाव किया। भूमि निस्तारण नियम 1974 में बदलाव कर फार्मूला बदला।
भूखंड की लीज राशि की गणना का फार्मूला बदल दिया है। अब आवंटन दर अथवा आरक्षित दर का 110% जो भी कम हो, उस दर के अनुसार भूखंड की लीज राशि देनी होगी। EWS वर्ग को पहले 40% कम लीज राशि देनी होगी।
निकायों की योजनाओं में भूखंड आवंटन शहरी भूमि निस्तारण नियम 1974 के तहत किया जाता है।
आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) और निम्न आय वर्ग को आवंटन दर में राहत देने का प्रावधान है।
ईडब्लूएस भूखंडधारियों को आरक्षित दर के पचास प्रतिशत पर भूखंड आवंटित किया जाता है।
एलआईजी भूखंडधारियों को आरक्षित दर के अस्सी प्रतिशत पर भूखंड आवंटन का प्रावधान है।
नियमों के अनुसार भूखंड की लीज राशि की गणना सभी वर्गों के लिए आरक्षित दर के अनुसार ही की जाती है।
आरक्षित दर के ढाई प्रतिशत के अनुसार आवासीय भूंखड की लीज राशि जमा करानी होती है।
ऐसे में ईडब्लूएस और एलआईजी को पूरी आरक्षित दर के अनुसार लीज देनी पड़ती थी।
अधिक लीज के कारण गरीब भूखंडधारी फ्री होल्ड पट्टा लेने में आनाकानी कर रहे थे।
गरीब भूखंडधारियों की इन मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने बड़ा फैसला किया है। इसके मुताबिक गरीब भूखंडधारियों को पहले से काफी कम लीज देनी होगी। वहीं नीलामी में भूखंड खरीदने वाले निवेशकों को पहले से अधिक लीज राशि देनी होगी।
नगरीय विकास विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक लीज की गणना का तरीका बदला गया है।
अब भूखंड की लीज राशि आवंटन दर अथवा आरक्षित दर के 110% दोनों में से जो भी दर कम होगी।
उस दर के आधार पर भूखंड की लीज राशि की वसूली की जाएगी।
उदाहरण के लिए निकाय की किसी योजना की आरक्षित दर 5 हजार रुपए है तो ईडब्लूएस की आवंटन दर ढाई हजार रुपए होंगी।
विभाग के नए आदेश के मुताबिक इस मामले में आवंटन दर के अनुसार लीज राशि की वसूली की जाएगी।
क्योंकि इस मामले में आवंटन दर आरक्षित दर के 110 प्रतिशत से कम है।
इस हिसाब से ईडब्लूएस के भूखंडधारी को आवासीय भूखंड का फ्री होल्ड का पट्टा लेने के लिए देनी होगी।
भूखंड की लीज राशि के पेटे महज 625 रुपए ही देने होंगे।
लेकिन पहले इसी भूखंडधारी को अपने भूखंड के लिए एक हजार दो सौ पचास रुपए देने पड़ते थे।
इस प्रकार ईडब्ल्यूएस के भूखंडधारी को पहले से पचास फीसदी कम लीज राशि जमा करानी होगी।
अब तक नीलामी में भूखंड खरीदने वालों को आरक्षित दर के अनुसार लीज देनी होती थी।
लेकिन अब नए फार्मूले के अनुसार आरक्षित दर के 110 प्रतिशत के अनुसार लीज देनी होगी।
इस तरह नीलामी के प्रकरणों में पहले से अधिक लीज राशि चुकानी होगी।