अशोक गहलोत और सचिन पायलट की लड़ाई एक बार फिर से जोर पकड़ने लगी है। कांग्रेस के राष्ट्रीय चुनाव के दौरान कुछ हद तक इस मामले में खामौशी दिखी पर मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष चुने जाने के बाद सीएम अशोक गहलोत और उसके समर्थक विधायकों पर जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सचिन पायलट खेमा फिर से बगावत के मूड में आ गया। हालांकि सीधे-सीधे तो कुछ नहीं कहा गया पर एक दूसरे के समर्थकों ने किसी न किसी बहाने बयान देकर दबाव की रणनीति फिर से शुरू कर दी।
इसी बीच अब पायलट खेमे के नेता खुलकर अदावत दिखाने लगे हैं। प्रदेश यूथ कांग्रेस के उपाध्यक्ष राकेश मीणा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राकेश मीणा ने सोशल मीडिया पर अपने इस्तीफा का ऐलान किया और गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा। राकेश मीणा के इस्तीफे से एक बार फिर से राजस्थान कांग्रेस में राजनीति गर्मा गई है।
राकेश मीणा यूथ कांग्रेस का चुनाव जीतकर प्रदेश के उपाध्यक्ष बने थे। जिसके बाद भी उनको पायलट ग्रुप का मनाते हुए किसी भी जिम्मेदारी से महरूम रखा गया। कहा जा रहा है कि निरंतर प्रयास और मेहनत के बाद भी संगठन में कोई जिम्मेदारी नहीं मिलने से खिन्न होकर उन्होंने इस्तीफा दिया है।
मीणा ने ट्वीट कर लिखा कि मुझे पार्टी में जो दायित्व मिला, वो राहुल गांधी जी की सोच के कारण मिला। लोकतंत्र व्यवस्था के कारण मिला। युवाकांग्रेस में कई कार्यकर्ताओं का दो से तीन बार प्रमोशन किया गया है लेकिन मेरे सहित कई कार्यकर्ताओं का एक बार भी प्रमोशन नहीं किया गया है। जिनके कांग्रेस के चुनाव में 500 वोट भी नहीं आए, उनको राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दी गई है। प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, जो सरासर पक्षपात है।
उन्होंने कहा कि 2018 राजस्थान विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट जी के चेहरे पर लड़ा गया। युवाओं ने पायलट के नाम पर वोट दिया लेकिन पायलट जी को कुछ भी नहीं मिला। जिसका संदेश जनता में गलत गया है । मैं कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी जी, सोनिया गांधी जी और प्रियंका गांधी का आम कार्यकर्ता हूं और एक कार्यकर्ता कि हैसियत से कांग्रेस पार्टी के लिए काम करता रहूंगा। मेरा ये निर्णय व्यक्तिगत है। इसको किसी भी व्यक्ति से इसे जोड़कर नहीं देखा जाए।
राकेश मीणा एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कहा यह भी जा रहा है कि मीणा यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोघरा पर कोई करवाई नहीं होने से काफी आहत थे। साथ ही कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल के घर हुई बैठक में भी अध्यक्ष गणेश घोघरा का जाना और पद की गरिमा के अनुकूल काम नहीं करने से राकेश मीणा काफी नाराज बताए जा रहे हैं।
प्रदेश में राहुल गांधी के आवागमन से पहले के इस घटनाक्रम से प्रदेश कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंच सकता है। राकेश मीणा एक युवा चेहरा हैं, जो NSUI से लेकर यूथ कांग्रेस तक युवाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। वहीं मीणा के इस्तीफे से गहलोत-पायलट की लड़ाई अब फिर से खुलकर सामने आ गई है। राहुल गांधी के सामने अपनी बात और विरोध प्रकट करने का सही अवसर इन युवा नेताओं के पास भारत जोड़ो यात्रा में होगा। इसके चलते अभी और भी असंतुष्ट नेताओं के सामने आने की उम्मीद जताई जा रही है।