Protest Against Amul: गुजरात की मिल्क कॉपरेटिव सोसायटी अमूल (AMUL) का मामला कर्नाटक से होते हुए तमिलनाडु तक पहुंच गया है। यह व्यवसायिक से ज्यादा राजनीतिक नजर आ रहा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 से ठीक पहले अमूल बनाम राज्य की नंदिनी (Nandini) को लेकर राजनीति हुई थी। अब इस राजनीति में तमिलनाडु भी कूद गया है।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं डीएमके के नेता एमके स्टालिन (MK Stalin) ने केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा है कि अमूल को आविन के मिल्क शेड क्षेत्र से दूध खरीदने से रोकने का निर्देश दिया जाए। स्टालिन ने यह पत्र स्थानीय सहकारी क्षेत्र को बचाने के नाम पर लिखी है और अमूल का विरोध किया है। अमूल के विरोध की मुख्य वजह उसका गुजरात से होना है।
केंद्रीय मंत्री अमित शाह को लिखे अपने पत्र में एमके स्टालिन ने लिखा, “अन्य राज्यों की मजबूत डेयरी सहकारी समितियों की तरह तमिलनाडु में भी सन 1981 से तीन स्तरीय डेयरी सहकारी प्रणाली प्रभावी ढंग से काम कर रही है। आविन हमारा सर्वोच्च सहकारी विपणन संघ है। आविन सहकारी के दायरे में 9,673 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं। वे लगभग 4.5 लाख सदस्यों से 35 LLPD दूध खरीदते हैं।”
स्टालिन ने आगे लिखा, “हाल ही में यह हमारे संज्ञान में आया है कि कैरा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ (अमूल) ने कृष्णागिरी जिले में चिलिंग सेंटर और एक प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने के लिए अपने बहुराज्यीय सहकारी लाइसेंस का उपयोग किया है।
यह हमारे राज्य के कृष्णागिरी, धर्मपुरी, वेल्लोर, रानीपेट, तिरुपथुर, कांचीपुरम और तिरुवल्लूर जिलों और उसके आसपास के FPO और SHG के माध्यम से दूध खरीद योजना बना रहा है। इस तरह की क्रॉस-प्रोक्योरमेंट ‘ऑपरेशन व्हाइट फ्लड’ की भावना के खिलाफ है और देश में दूध की कमी के मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए उपभोक्ताओं के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला है।”
हिंदी का विरोध कर इसे क्षेत्रीय अस्मिता से जोड़ने वाले एमके स्टालिन अब आर्थिक क्षेत्र में भी इसे आजमा रहे हैं। इसी तहत उन्होंने Amul बनाम Aavin के जरिए अब स्थानीय बनाम गैर-स्थानीय की आग को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।
यही कारण है कि वे अमित शाह से राज्य में अमूल के ऑपरेशन को रोकने की मांग की है। इस तरह की मांग करके क्षेत्रीयता की आग भड़काकर अपनी राजनीति चमकाने वाले स्टालिन पहले नेता नहीं हैं।
भाजपा और उसके नेताओं, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से विरोधी भाव रखने वाले लोग अब गुजरात के इस दूध उत्पाद का का भी विरोध करने लगे हैं।
इसके लिए ये नेता स्थानीय बनाम गैर-स्थानीय की विभाजनकारी राजनीति को हवा दे रहे हैं। बंगाल में ममता बनर्जी, बिहार में जदयू और राजद, कर्नाटक में कांग्रेस एवं जेडीएस, तमिलनाडु में स्टालिन, महाराष्ट्र में MNS जैसे क्षेत्रीय नेता क्षेत्रवाद को अपनी राजनीति का केंद्र बनाकर रखा है।