
रामलला 22 जनवरी को राम मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं। इसको लेकर तैयारी काफी तेज हो चुकी है। राम जन्मभूमि परिसर में भव्य अक्षत पूजन कार्यक्रम आयोजित किया गया।
रामलला के दरबार में 100 अक्षत कलशों का विधि विधान से पूजन किया गया। इसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों से आए 100 विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं को दिया गया। ये कलश पांच लाख गांवों में भेजा गया है।
अक्षत पूजन कार्यक्रम में देशभर से कुल 118 कार्यकर्ता अयोध्या पहुंचे थे। पीतल के कलशों में पांच-पांच किलो अक्षत भरा गया। सुबह से लेकर दोपहर तक कलशों की पूजा की गई।
फिर सभी कार्यकर्ताओं को मंदिर परिषर में एंट्री दी गई। सिर पर कलश रखकर कार्यकर्ता राम जन्मभूमि परिसर से वैदिक मंत्रोच्चार व जय श्रीराम के उद्घोष के साथ मंदिर पहुंचे।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि राज्य के अधिकारी तय करेंगे कि प्रत्येक जिले में कितने अक्षत भेजे जाएंगे।
फिर जिला अधिकारी गांव, जिला और सेक्टर की गणना के आधार पर अक्षत वितरित करेंगे। यह प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी होने की उम्मीद की जा रही है।
एक जनवरी से मकर संक्रांति तक कार्यकर्ता टोलियों में घर-घर जाएंगे। वे परिवार के मुखिया को चावल के चार दाने देंगे।
यह रामलला की ओर से उत्सव का निमंत्रण होगा और यह अपील की जाएगी कि इसे अयोध्या आने का निमंत्रण न माना जाए।
चंपत राय ने सभी राम भक्तों से अपील की कि वे 22 जनवरी को पांच करोड़ परिवारों में दिवाली मनाएं जाये।
जब रामलला अपने घर में विराजमान होंगे। हम लोग सुबह 11 बजे से पहले गांव के मंदिर में सभी लोग एकत्रित हो जाए। मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का सीधा प्रसारण दूरदर्शन पर किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसका प्रसारण मंदिर पर करना है। साथ ही चौक चौराहों को बाधित नहीं किया जाना है। शाम को 6 बजे के बाद सभी लोग अपने घरों में दीपक जलाये।
मंदिर के पदाधिकारी शरद शर्मा ने बताया कि मंदिर में 16 जनवरी से कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में पीएम मोदी के साथ ही 135 देशों के प्रतिनिधी शामिल होंगे।
सभी कार्यकर्ताओं को अक्षत और हल्दी के साथ रवाना कर दिया गया है। आज से सभी को न्योता बांटने का काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि रामलला के मूर्ति की 10 करोड़ फोटो छपवायी जाएंगी।
जो लोगों को रामनवमी पर प्रसाद के तौर पर दी जाएगी। इसके साथ ही सभी लोग रामलला के नये स्वरुप को अपने घर के मंदिरों में सजो सकें।