उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रदेश में संचालित गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के सर्वे का आदेश देने के बाद नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। जहां विपक्षी दल और कुछ मुस्लिम संगठनों ने सरकार की मंशा पर सवाल किए है वहीं सरकार का कहना है कि हमने मदरसों में तालीम ले रहे छात्रों के हित में ये फैसला लिया है।
दरअसल, मदरसों में की जा रही फंडिंग को लेकर लंबे समय से सवाल उठते आ रहे है। कई मौकों पर देश भर के कई मदरसों में आतंकी संगठनों से फंडिंग के मामले भी सामने आए है। सरकार का तर्क है कि मदरसों में वित्तीय पारदर्शिता के लिए यह सर्वे जरूरी है।
यूपी के अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी के मुताबिक मदरसों के सर्वे से घबराने की जरूरत नहीं है, सरकार किसी मदरसे पर बुलडोजर नहीं चलाने वाली, सरकार जानना चाहती है कि मदरसों के हालात क्या है। बच्चों की शिक्षा की क्या व्यवस्था है। शिक्षकों को वेतन कैसे मिल रहा है। हम बच्चों को बुनियादी सुविधाएं देना चाहते हैं।
सरकार की मंशा सही है तो हंगामा क्यों? आपको बता दें कि यूपी में 16,000 से ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, जो सरकार से चंदा नहीं लेते बल्कि चंदा या धार्मिक संस्थाओं के सहारे चल रहे हैं। इन मदरसों में कई लाख बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। तंज़ीम उलमा-ए-इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रिज़वी बरेलवी का कहना है कि उन्हें मदरसों के सर्वेक्षण से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन यूपी में मदरसों का सर्वेक्षण कराने का उद्देश्य मुसलमानों को मानसिक रूप से परेशान करने के अलावा और कुछ नहीं है।
मदरसों के सर्वे को लेकर जारी सियासत के बीच सबसे बड़ा मुस्लिम संगठन दारुल उलूम देवबंद योगी सरकार के फैसले के समर्थन में सामने आया है। दारुल उलूम ने मदरसों के सर्वेक्षण के फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि यह मदरसों के हित में है।
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी भी सरकार के इस फैसले के साथ खड़े नजर आ रहे है। मदनी के मुताबिक हम सरकार के सर्वे के कार्य की सराहना करते है। मदरसा संचालकों को भी सर्वेक्षण में सहयोग करना चाहिए, क्योंकि मदरसों के अंदर कुछ भी छिपा नहीं है और उनके दरवाजे हमेशा सबके लिए खुले है। उन्होंने कहा कि मदरसे देश के संविधान के तहत चलते हैं, इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराये जा रहे सर्वे में सहयोग करते हुए पूरी और सही जानकारी दें।
यूपी सरकार के मदरसों के सर्वे के फैसले को ज्यादातर मुस्लिम संगठनों ने पसंद नहीं किया है। ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना रशीदी ने सर्वे टीम को चप्पलों से मारने का आदेश दिया। हालांकि बाद में उन्हें अपने बयान पर पछतावा हुआ।
वहीं दूसरी ओर यूपी में विपक्षी दल खासकर समाजवादी पार्टी या ओवैसी की एआईएमआईएम इस फैसले का खुलकर विरोध कर रही है। ओवैसी ने इसे छोटा एनआरसी बताया, कहा- वे मुसलमानों का शोषण करना चाहते हैं, मदरसे संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत है, तो यूपी सरकार ने सर्वेक्षण का आदेश क्यों दिया। उन्होंने यूपी सरकार को घेरते हुए कहा कि मदरसों के बारे में झूठ फैलाना बंद करो, जब आप मदद नहीं देते तो मदरसों में दखल क्यों दे रहे हो।
मदरसों को आधुनिक बनाने की पहल संघ ने भी शुरू कर दी है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में दिल्ली के एक मदरसे का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की।
इलियासी ने कहा, 'मोहन भागवत से मिलना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। वह हमारे राष्ट्रपिता और राष्ट्र के ऋषि हैं।" उन्होंने कहा, "देश की एकता और अखंडता को बनाए रखा जाना चाहिए। हम सभी अलग-अलग तरीकों से पूजा कर सकते है, लेकिन उससे पहले हम सभी इंसान है। भारत विश्व गुरु बनने की कगार पर है और हम सभी को इसके लिए प्रयास करना चाहिए।"