यूपी के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले (Lakhimpur Kheri incident) में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। ऐसे में अब लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसक घटना के मुख्य आरोपी केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
वजह ये कि स्पेशल इंन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने मामले में नई धारा बढ़ाते हुए मामले को दुर्घटना के बजाय नहीं हत्या की सुनियोजित साजिश करार दिया है। एसआईटी का अपडेट आने के बाद राजनीतिक गलियारों में भी अब मामले की गहन जांच की मांग उठने लगी है।
मामले में नया मोड़ आते ही कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक मंत्री ने किसानों को मारने का काम किया है।
विवेचक ने माना कि यह घटना लापरवाही से नहीं, बल्कि साजिश के तहत अंजाम दी गई थी। सहायक अभियोजन अधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया कि अदालत ने सभी आरोपियों को मंगलवार को जेल से तलब किया है।
SC के आदेश पर पूर्व जज की निगरानी और तीन सीनियर IPS को जांच टीम में किया गया था शामिल
नवंबर में इस हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज राकेश कुमार जैन की देख रेख में जांच कराने का निर्देश दिया था। वहीं कोर्ट ने मामले की जांच के लिए एसआईटी में तीन सीनियर आईपीएस अधिकारियों को भी अपॉइंट किया गया था।
इसमें पद्मजा चौहान, दीपेंद्र सिंह, एसबी सिरोडकर का नाम शामिल है। एससी ने आदेश में अदालत पहले ही कह चुकी थी कि मामले की जांच की निगरानी के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति की जा सकती है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने भी Lakhimpur खीरी हिंसा मामले में एक पूर्व न्यायाधीश की देखरेख में राज्य की एसआईटी द्वारा दिन-प्रतिदिन जांच करने की सलाह पर सहमति जाहिर की थी।
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