Uttarakhand: हिंदू तीर्थ नगरी ऋषिकेश में अवैध मजारों की भरमार, प्रशासन ने चिन्हित कीं 30 मजार

Mausoleum in Rishikesh: तीर्थ नगरी में ब्रिटिश शासनकाल से किसी भी गैर हिंदू को रात्रि में रुकने की इजाजत नहीं थी, लेकिन वहां एक षड्यंत्र के तहत हिंदुओं के घरों के आसपास मजारें बना दी गई हैं।
Uttarakhand: हिंदू तीर्थ नगरी ऋषिकेश में अवैध मजारों की भरमार, प्रशासन ने चिन्हित कीं 30 मजार
Updated on

Mausoleum in Rishikesh उत्तराखंड की हिंदू तीर्थ नगरी ऋषिकेश में अवैध मजारों की भरमार हो गई है। प्रशासन ने ऐसी यहां 30 मजारों को किया चिन्हित किया है। हिंदुओं की इस तीर्थ नगरी में जहां ब्रिटिश शासनकाल से किसी भी गैर हिंदू को रात्रि में रुकने की इजाजत नहीं थी, वहां एक षड्यंत्र के तहत हिंदुओं के घरों के आसपास या निजी जमीन पर मजारें बना दी गई हैं।

जानकारी के अनुसार महामना मदन मोहन मालवीय और ब्रिटिश हुकूमत के बीच गंगा नगरियों को लेकर एक करार हुआ था और ये करार बाद में ऋषिकेश और हरिद्वार नगरपालिका एक्ट का हिस्सा बन गया था कि गंगा नगरी में कोई भी गैर हिंदू रात्रि विश्राम नहीं कर सकता, उसे यहां आकर अपना काम निपटा कर गंगा क्षेत्र छोड़ना होगा।

इस एक्ट का नतीजा ये हुआ कि ऋषिकेश में कोई गैर हिंदू अपना घर अथवा मजहबी स्थल नहीं बना सका। किंतु पिछले कुछ सालों में यहां हिंदुओं की जमीन पर मजारें बना दी गईं और ये सब सोची समझी साजिश के तहत बनाई गईं, ताकि मुस्लिम लोग इसकी आड़ में अपनी मजहबी गतिविधियों को बढ़ा सकें।

करीब 30 अवैध मजारें चिन्हित

ऐसी जानकारी मिली है कि ऋषिकेश कुंभ गंगा क्षेत्र में करीब 30 मजारें प्रशासन ने चिन्हित की हैं और ये निजी और सरकारी जमीनों पर बनी हुई हैं। सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा करके मजारें बनाई गई हैं।

वहीं निजी जमीनों पर जो मजारें बनी हुई हैं, उसके पीछे तर्क ये दिया जा रहा है कि स्थानीय लोग पहले कहीं किसी और मजार पर गए वहां उनकी कोई मुराद पूरी हुई तो वहां के खादिम ने चालाकी दिखाते हुए फरियादी की जमीन हथिया कर वहां मजार बना दी।

धीरे-धीरे वहां से झाड़-फूंक का धंधा शुरू कर दिया। ऐसा भी बताया गया है कि यहां से इस्लामिक गतिविधियों का संचालन भी किया जा रहा है।

लोग बोले- 'यहां किसी पीर, फकीर को नहीं दफनाया'

ऋषिकेश के पुराने जानकर लोग कहते हैं कि हमने कभी नहीं सुना कि कोई फकीर, पीर किसी के घर में या उसके खेत में जाकर उसकी मौत हुई हो या उसे यहां दफनाया गया हो। स्थानीय नागरिक के एस कोहली बताते हैं कि ये मजारें फर्जी हैं और उन्हें हैरानी इस बात की है कि स्थानीय हिंदू और ब्राह्मण लोग कैसे इन खादिमों के झांसे में आ गए?

ऋषिकेश के रहने वाले पत्रकार मनमोहन भट्ट बताते हैं कि ये मजारें भोले-भाले हिंदू लोगों की जमीनों पर कब्जा करने के अलावा और किसी कारण से नहीं बनाई गई हैं, ये गंगा नगरी को अपवित्र करने के लिए बनाई गई हैं। हिंदू संगठनों द्वारा निजी भूमि पर बनी अवैध मजारों को स्वयं हटा लिए जाने का निवेदन किया जा रहा है।

स्वामी दर्शन भारती ने कहा है कि तीर्थ नगरी की सनातन मर्यादाएं हैं। इसलिए लोगों को खुद ये मजारें हटा देनी चाहिए, अन्यथा प्रशासन से कहा जाएगा कि वे इन्हें हटाएं।

प्रशासन देगा नोटिस

देहरादून जिला प्रशासन ने इन मजारों को अवैध निर्माण की श्रेणी में रखा है क्योंकि इनके निर्माण के लिए कोई अनुमति जिला अधिकारी से नहीं ली गई है और अब इन्हें एमडीडीए नोटिस देने जा रहा है।

वन भूमि पर बनी अवैध मजहबी चिन्हों को हटाने के लिए वन विभाग के पीसीसीएफ अनूप मलिक ने संबंधित डीएफओ को निर्देशित किया है कि वो वन भूमि से तत्काल इन अवैध मजहबी चिन्हों को हटाए।

logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com