Calcutta High Court: कलकत्ता हाईकोर्ट के कुछ वकीलों ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने उनके उस बयान पर स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है। जिसमें कथित तौर दावा किया गया है कि ममता बनर्जी ने कथित तौर पर यह बयान तब दिया है, जब कलकत्ता हाई कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाला केस में रिश्वत लेकर बहाल किए गए करीब 24 हजार टीचरों की नियुक्ति कैसिंल कर दी।
वरिष्ठ अधिवक्ता और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPIM) नेता विकास रंजन भट्टाचार्य ने आज मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ से मुख्यमंत्री के खिलाफ उनके “अवमाननापूर्ण” बयानों के लिए कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया।
वरिष्ठ अधिवक्ता भट्टाचार्य ने कोर्ट से आग्रह किया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बार-बार ऐसे अवमाननापूर्ण बयान दे रही हैं, ताकि आम जनता की नजर में कोर्ट की अहमियत कम हो। उन्होंने बेंच से कहा कि कोर्ट से मेरी गुजारिश है कि इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया जाए।
जब तक कोर्ट इस मामले में सख्त नहीं हो जाता है। मैं इस पर आपराधिक अवमानना याचिका दायर कर सकता हूं, लेकिन इसके लिए मुझे पहले महाअधिवक्ता से इजाजत लेनी होगी, जो किसी भी कीमत पर नहीं मिल सकेगी। इसलिए, मैं हलफनामा दायर कर सकता हूं कि ये कथन हैं, लेकिन कृपया इस पर संज्ञान लें।
भट्टाचार्य ने आगे कहा, ‘मीलॉर्ड, हर कोर्ट हम पर हंस रही है- यह क्या हो रहा है! कहा जा रहा है कि हाईकोर्ट को खरीद लिया गया है। हम आधी रात तक मेहनत करके माननीय न्यायलय के समक्ष मामले को रखते हैं। कोई भी यह आरोप कैसे लगा सकता है कि हाईकोर्ट के जज और पूरा हाईकोर्ट बिक गया है।’
इस पर बेंच ने पूछा कि क्या इस मामले पर कोई याचिका दायर की जा सकती है, ताकि मामले को रिकॉर्ड पर दर्ज किया जा सके। तब भट्टाचार्य ने कहा कि वे मुख्यमंत्री की टिप्पणियों पर रिपोर्ट के साथ एक हलफनामा दायर करेंगे। सीनियर वकील ने यह भी कहा कि वो आज दोपहर 2 बजे इस काम को पूरा कर लेंगे, ताकि कोर्ट इस मामले पर फिर से विचार कर सके।
इसी दौरान कोर्ट में मौजूद एक अन्य वकील ने कहा कि वो एक याचिका तैयार कर रहे हैं। बेंच ने कहा कि यह याचिका भी दायर की जा सकती है। बता दें, कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले दिनों शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में 2016 में बहाल हुए करीब 24 हजार शिक्षकों की नौकरी खत्म कर दी थी। साथ ही उन सभी को आठ साल का वेतन लौटाने का निर्देश दिया था। इसके बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इस फैसले की आलोचना की थी।