आरएसएस ने रिचा भारती विवाद पर कहा 5 कुरान बाटंने से अच्छा है 5 गीता बाटे…

उधर सुब्रमण्यम स्वामी ने ऋचा भारती के स्टैंड का समर्थन किया है
आरएसएस ने रिचा भारती विवाद पर कहा 5 कुरान बाटंने से अच्छा है 5 गीता बाटे…
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जयपुर ( डेस्क न्यूज) – रिचा के घर विश्व सनातन संघ के लोग 5 गीता लेकर पहुंच पिठोरिया संघ के लोगों ने कहा 5 कुरान बांटने से बढ़िया है 5 गीता बाटे, रांची जिला कोर्ट के वकीलों नें कुरान बांटने के फैसले के खिलाफ जज मनीष सिंह की बर्खास्तगी की मांग करते हुए उनकी कोर्ट का बहिष्कार किया।

दूसरी तरफ रांची के मुस्लिम युवा कल श्रीमद भगवतगीता का ससम्मान वितरण करेंगे (18 जुलाई 2019 समय-शाम 4 बजे, स्थान-गांधी चौक, नजदीक-संकट मोचन हनुमान मंदिर, डेली मार्केट,मेन रोड-रांची-1). यह जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता नदीम खान ने दी जिसमें असलम परवेज, मो जाहिद, तनवीर अहमद, साजिद उमर, अरशद कैरैशी आदि मौजुद रहेंगे,

बता दें कि सोमवार को न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह की अदालत ने कुरान की 5 प्रतिलिपि बांटने के शर्त पर ऋचा भारती को जमानत की सुविधा प्रदान की थी. इसके साथ ही अदालत ने कहा है था कि पिठोरिया थाना प्रभारी के संरक्षण में ऋचा भारती उर्फ ऋचा पटेल को कुरान की एक प्रतिलिपि पिठोरिया अंजुमन इस्लामिया के सदर मंसूर खलीफा को देनी होगी. 15 दिनों के अंदर कुरान की चार प्रतिलिपि रांची के विभिन्न पुस्तकालयों में जमा करने की शर्त भी रखी गई थी. इस फैसले के खिलाफ ऋचा के परिवार वाले ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात की है. देश भर में इसकी प्रतिक्रया भी आ रही है,

जमानत की इस शर्त पर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। कानूनी जानकारों की राय भी इस मामले में अलग-अलग है। एक तरफ कानूनी जानकार कहते हैं कि जज की मंशा सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने की है, इसलिए ऐसा आदेश पारित हुआ होगा तो दूसरी कानूनी जानकार कहते हैं कि सीआरपीसी के दायरे में ही जमानत की शर्त लगाई जा सकती है, उसके दायरे से बाहर जाकर नहीं।

दिल्ली हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस. एन. ढींगड़ा का कहना है कि मामले में शिकायती ने युवती पर आरोप लगाया है कि उसने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इसी बात के मद्देनजर मैजिस्ट्रेट ने सौहार्द बढ़ाने के लिए इस तरह का आदेश पारित किया। ये शर्त कोई कठिन शर्त नहीं है। कुरान बांटने का आदेश दिए जाने के पीछे मंशा यह रही होगी कि दो समुदायों में आपसी सौहार्द बढ़े और इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता है, बल्कि इस फैसले का तो स्वागत होना चाहिए।

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