कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (B. S. Yediyurappa) ने सोमवार को CM पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि लंच के बाद मैं गवर्नर से मिलूंगा और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दूंगा। राज्य में आज ही भाजपा सरकार के दो साल पूरे हुए हैं। इसी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने इस्तीफे का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि मैंं हमेशा अग्निपरीक्षा से गुजरा हूं।
इससे पहले उन्होंने रविवार शाम को कहा था कि आलाकमान ने अभी तक कुछ नहीं कहा है। सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर सोमवार को कार्यक्रम है। यहां मैं उन दो साल की उपलब्धियों के बारे में बताऊंगा। उसके बाद आपको आगे की जानकारी दी जाएगी।
उन्होंने कहा, 'मैंने तय किया है कि मैं आखिरी मिनट तक काम करूंगा। मैंने दो महीने पहले ही कहा था कि जब भी मुझसे कहा जाएगा, मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। अब तक मुझे केंद्र से कोई संदेश नहीं मिला है। अगर वे मुझसे पद पर बने रहने के लिए कहेंगे, तो मैं ऐसा ही करूंगा और यदि नहीं, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा और पार्टी के लिए काम करता रहूंगा। मुझे विश्वास है कि सूचना आज रात या कल सुबह आ जाएगी।'
इससे पहले येदियुरप्पा ने 16 जुलाई को दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। अचानक हुई इस मुलाकात ने येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलों को हवा दे दी थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी।
कर्नाटक में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। सवाल ये है कि मार्गदर्शक की उम्र में येदि को भाजपा CM क्यों बनाए हुए है? दरअसल, 78 वर्षीय येदियुरप्पा का विकल्प फिलहाल भाजपा के पास मौजूद नहीं है। येदि लिंगायत जाति के कद्दावर नेता हैं। वे कर्नाटक की राजनीति के धुरंधर हैं। फिलहाल उनके कद का नेता कांग्रेस या अन्य किसी पार्टी के पास भी नहीं है।
लिहाजा अगर भाजपा उन्हें पद से हटाकर किसी और को मुख्यमंत्री बनाती है तो भी येदियुरप्पा के समर्थन की जरूरत होगी।अगर येदियुरप्पा भाजपा से कन्नी काटते हैं, तो राज्य में इसका नुकसान भी भाजपा को उठाना पड़ सकता है।
येदियुरप्पा ने 31 जुलाई 2011 को भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 30 नवंबर 2012 को कर्नाटक जनता पक्ष नाम से अपनी पार्टी बनाई थी। दरअसल, येदियुरप्पा के इस कदम के पीछे लोकायुक्त द्वारा अवैध खनन मामले की जांच थी। इसी जांच में येदियुरप्पा का नाम सामने आया था। इसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा था। 2014 में येदियुरप्पा फिर भाजपा में शामिल हो गए।
इसके बाद 2018 में कर्नाटक में सियासी नाटक के दौरान पहले ढाई दिन के लिए मुख्यमंत्री बने और इमोशनल स्पीच के बाद सत्ता छोड़ दी। फिर दोबारा 2019 में बहुमत साबित कर मुख्यमंत्री बनने की प्रक्रिया ने भी आलाकमान के सामने येदियुरप्पा का कद बढ़ा दिया था।