57 अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को लिखा पत्र, “भारत को अतिरिक्त मदद की पेशकश”
57 अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को लिखा पत्र : अमेरिका के 57 सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को पत्र लिखकर भारत को दी जाने वाली कोविड-19 सहायता बढ़ाने का अनुरोध किया है।
बाइडन को बुधवार को भेजे पत्र में सांसदों ने लिखा है, 'संक्रमण के मामलों में तेजी से हुई वृद्धि के कारण भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र पर भार बहुत अधिक बढ़ गया है।
वायरस को खत्म करने के लिए हमें अपनी ओर से प्रयास करने चाहिए।'
57 अमेरिकी सांसदों ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को लिखा पत्र : कांग्रेशनल इंडिया कॉकस में अध्यक्ष ब्रेड शेरमन ने कहा, 'भारत में कोविड-19 की दूसरी भयावह लहर को लेकर हमें बहुत अधिक चिंता है।
भारत वैश्विक महामारी कोविड-19 का केंद्र बन गया है।
आज का दिन भारत के लिए बहुत कष्टदायी रहा है, वहां 4,205 लोगों की मौत हो गई
और इन्हें मिलाकर अब तक 2,50,000 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं।'
भारत में कोविड-19 का हालिया प्रकोप एक मानवीय संकट है
पत्र में शेरमन ने कहा, 'भारत में कोविड-19 का हालिया प्रकोप एक मानवीय संकट है,
जिसमें हमें सहायता देने की जरूरत है।
जब तक भारत में कोविड कहर बरपाता रहेगा तब तक वायरस के नए स्वरूपों की उत्पत्ति का जोखिम भी बना रहेगा जो टीकाकरण करवा चुके अमेरिकी लोगों के लिए भी एक गंभीर खतरा हो सकता है।
भारत को चिकित्सा उपकरणों, आपूर्तियों और अन्य आवश्यक संसाधनों की आवश्यकता
उन्होंने कहा कि भारत को अतिरिक्त चिकित्सा उपकरणों, आपूर्तियों और अन्य आवश्यक संसाधनों की आवश्यकता है।
इसके साथ ही पत्र में प्रशासन से अनुरोध किया गया कि भारत को ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन सांद्रक, ऑक्सीजन जनरेटर संयंत्र, क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंकर, रेमडेसिविर, वेंटिलेटर आदि भेजे जाएं।
WHO ने बताया, राजनीतिक और धार्मिक आयोजनों से बढ़ी दूसरी लहर
पत्र में कहा गया कि भारत में सभी का टीकाकरण हो यह अमेरिका के हित में है। इसलिए भारत को टीके उपलब्ध करवाए जाने चाहिए। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रमों को जिम्मेदार बताया है।
WHO ने भारत में मिल रहे B.1.617 वेरिएंट को लेकर भी चिंता जताई
संयुक्त राष्ट्र की संस्था का कहना है कि राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के चलते सोशल मिक्सिंग हुई है और इससे कोरोना का रिस्क बढ़ा है। यही नहीं WHO ने भारत में मिल रहे B.1.617 वेरिएंट को लेकर भी चिंता जताई है। संस्था का कहना है कि इस वेरिएंट का भारत में पहला केस अक्टूबर 2020 में सामने आया था।