डेस्क न्यूज़- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को देश भर में फर्जी ‘बाबाओं’ द्वारा चलाए जा रहे अवैध आश्रमों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने से इनकार करते हुए कहा कि यह मुद्दा अपने दायरे में नहीं आता है। मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी से पूछा कि अदालत कैसे पता लगाएगी कि कोई व्यक्ति फर्जी बाबा है। याचिकाकर्ता डम्पला रामरेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने इस याचिका को वापस लेने की अनुमति मांगी। पीठ ने अपने आदेश में जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम को भी शामिल किया।

पीठ ने कहा, “सूची में दोषी राम रहीम सिंह जैसे नाम शामिल हैं”
वही सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि ‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद’ ने ‘फर्जी बाबाओं की सूची तैयार की है। लेकिन हम उस सूची पर भरोसा कैसे कर सकते हैं।
हम नहीं जानते कि क्या सुनवाई के बाद सूची तैयार की गई थी।
इस पर पीठ ने कहा कि अखाड़े की सूची में दोषी राम रहीम सिंह जैसे नाम शामिल हैं।
वकील ने लोगों को बाबाओं के पास न जाने के लिए कोर्ट को कई कारण बताए। इसपर पीठ ने कहा और पूछा, “आप क्यों चाहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ऐसा कहे”।
बेंच ने कहा कि हम अखाड़ा परिषद या किसी और का भी आनादर नही करते हैं।
लेकिन हम यह नहीं जानते हैं कि अखाड़ा
परिषद उनमें से क्या है। हम नहीं जानते कि सूची कैसे तैयार की गई।
उच्चतम न्यायालय इस दायरे में कैसे प्रवेश कर सकता है। अदालत इस पर गौर नहीं कर सकती है।
अवैध आश्रमों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता ने पहले ही दिल्ली उच्च न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है, जिसमें कथित तौर पर एक धर्मगुरु द्वारा उनकी बेटी को हिरासत में रखा गया है। इससे पहले गत जुलाई में शीर्ष अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि वह देश भर में फर्जी ‘बाबाओं’ द्वारा चलाए जा रहे अवैध आश्रमों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करे और रोहिणी के ‘अधिमति विद्यालय’ में जेल जैसी स्थितियों से महिलाओं को बचाया जाए। शीर्ष अदालत ने मेहता से कहा कि इस पर गौर करें कि क्या किया जा सकता है। यह सभी को बुरा नाम देता है।
फर्जी बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित
डम्पला रामरेड्डी ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उनकी बेटी, जो आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए की पोस्ट-डॉक्टोरल स्कॉलर हैं। जुलाई 2015 से जेल में ऐसी हालत में रह रही है, जिसे कथित रूप से एक बलात्कार के आरोपी द्वारा
स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा था कि आश्रम के संस्थापक को फरार घोषित किया गया है और दिल्ली उच्च
न्यायालय द्वारा गठित एक संयुक्त समिति ने वीरेंद्र देव दीक्षित द्वारा संचालित आश्रम में व्याप्त दयनीय
स्थितियों का विवरण देते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
17 अवैध आश्रमों पर कड़ी कार्यवाही करने की मांग
दलील में कहा गया है कि ऋषियों की सर्वोच्च संस्था ‘अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद’ ने देश में 17 फर्जी बाबाओं की सूची तैयार की है। जिसमें वीरेंद्र देव दीक्षित का नाम भी शामिल है।
उनकी याचिका में फर्जी बाबाओं द्वारा चलाए जा रहे 17 अवैध आश्रमों पर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की गई हैं। कहा गया हैं कि देश और राष्ट्रीय राजधानी में 17 फर्जी आश्रमों में हजारों शिष्य निवास कर रहे हैं। और उनकी बेटी भी उनमे से एक हैं। उत्तरदाताओं और सरकारी अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण फर्जी ‘बाबा आश्रम चला रहे हैं और निर्दोष लोगों विशेषकर महिलाओं को फंसा रहे हैं। उन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि हजारों महिलाओं को आश्रमों में रहने के लिए मजबूर किया गया है और उन्हें ड्रग्स और नशीले पदार्थ दिए गए थे ताकि वे जगह नहीं छोड़ें।