ताऊ ते तूफान ने लक्षद्वीप के दक्षिण दिशा में विकसित होने से लेकर गुजरात के पास दीव तट पर टकराने तक करीब 1200 किलोमीटर का सफर तय किया। पिछले दो दशकों में अरब सागर में बने किसी भी तूफान ने इतनी ज्यादा दूरी तय नहीं की। ताऊ ते चक्रवात ने यह दूरी 7 दिन में तय की और पश्चिमी तट के सभी 5 राज्य और 2 द्वीप समूहों में भारी तबाही मचाई।
केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र व गुजरात के अलावा लक्षद्वीप और दीव
समूह के तटीय हिस्सों में 200 से 400 मिमी तक बारिश हुई। यह तूफान दीव
से 10 किलोमीटर दूर टकराया है। तूफान का केंद्र दीव से 35 किमी ईस्ट-
साउथ ईस्ट में है।
यह ताऊ ते सुपर साइक्लोन से महज एक लेवल नीचे का भयंकर तूफान है। इसके बावजूद कम जनहानि हुई है। इसका मुख्य कारण मौसम विभाग की सतर्कता है, जिन्होंने ताऊ ते तूफान की दिशा, गति और टकराने के सही स्थान की भविष्यवाणी सटीक की।
मौसम विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि सैटेलाइट इनसेट 3डी के जरिए हर 15 मिनट में मिल रही तस्वीरों और पश्चिमी तट पर तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, गोवा, मुंबई और भुज में लगे 5 रडार के जरिए ताऊ ते तूफान पर नजर रखी गई। सैटेलाइट की तस्वीरों के जरिए इसके केंद्र यानी 'आई' की पहचान की गई। 'आई' की बदलती स्थिति के जरिए ही इसके बढ़ने की दिशा और गति की गणना की गई।
रडार की तस्वीरों से मिलान कर लगातार उसकी पुष्टि की गई। अहमदाबाद और मुंबई के साइक्लोन सेंटर और पुणे-दिल्ली में विभाग के मुख्यालय से सभी तटीय राज्यों के प्रभावित इलाकों को वार्निंग और अपडेट बुलेटिन जारी किए गए।
मौसम विभाग के नोएडा और पुणे सेंटर्स में दो सुपर कंप्यूटर के जरिए मैथेमेटिकल मॉडल चलाकर डेटा विश्लेषण किया जाता हैं। इनसे अगले दो हफ्तों के मौसम का पूर्वानुमान पता चलता है। 6 मई को इसी पूर्वानुमान में पहली बार तूफान के शुरुआती संकेत मिले थे। इसके बाद 6 और ग्लोबल मॉडल, जिनमें 3 अमेरिकन, 1 यूरोपियन यूनियन, 1 जापान और 1 फ्रांस के मॉडल के निष्कर्षों को शामिल करके ताऊ ते तूफान को ट्रैक किया गया। इसके बाद तूफान के दीव और गुजरात के हिस्सों से टकराने के 7 दिन पहले ही उसका रास्ता, गति की जानकारी जारी की थी।