नए आईटी नियमों से नहीं बचेंगे चैनल-अखबारों के डिजिटल प्लेटफॉर्म, सरकार ने ठुकराया NBA का अनुरोध

नए आईटी नियमों से नहीं बचेंगे चैनल-अखबारों के डिजिटल प्लेटफॉर्म, सरकार ने ठुकराया NBA का अनुरोध

नए आईटी नियम के लागू होने के बाद नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने टीवी चैनलों और अखबारों के डिजिटल प्लेटफॉर्म को नए नियमों से बाहर रखने का अनुरोध किया था, जिसे सरकार ने ठुकरा दिया है।
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डेस्क न्यूज़- पिछले महीने ही सरकार ने आईटी के नए नियम लागू किए हैं। भारत सरकार के नए आईटी नियम को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों के साथ भी काफी विवाद हुआ, हालांकि सभी ने अपने प्लेटफॉर्म पर नए नियम को लागू किया है। नए नियम के लागू होने के बाद नेशनल ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने टीवी चैनलों और अखबारों के डिजिटल प्लेटफॉर्म को नए नियमों से बाहर रखने का अनुरोध किया था, जिसे सरकार ने ठुकरा दिया है।

एनबीए ने सरकार से क्या कहा?

ऐसे में अब टीवी चैनलों और अखबारों के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी नए आईटी नियम लागू होंगे। एनबीए ने सरकार से अनुरोध करते हुए कहा था कि ये प्लेटफॉर्म पहले से ही कई तरह के नियमों से जकड़े हुए हैं, ऐसे में एक और नया नियम इन पर लागू करना सही नहीं रहेगा।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का जवाब

मंत्रालय ने एनबीए के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है। मंत्रालय का कहना है कि नए नियम से किसी पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ने वाला है और उन्हें नए नियम के दायरे में लाने में कुछ भी गलत नहीं है। मंत्रालय का कहना है कि कानून में किसी भी तरह के अपवाद को शामिल करना उचित नहीं है। इसलिए नए नियम सभी पर समान रूप से लागू होंगे।

मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जब किसी डिजिटल समाचार प्रकाशक की कोई खबर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित की जाती है, तो ऐसी सामग्री उस प्लेटफॉर्म की नियामक जिम्मेदारी से बाहर होगी, हालांकि, अगर ओटीटी प्लेटफॉर्म को ऐसी खबर या सामग्री को ले जाने की अनुमति है। यदि कोई शिकायत प्राप्त होती है, तो वह मामले को उस समाचार से संबंधित प्रकाशक को हस्तांतरित कर सकता है।

नए नियमों का क्या होगा असर?

केंद्र सरकार के नए आईटी नियमों के मुताबिक डिजिटल प्लेटफॉर्म को शिकायत के 24 घंटे के भीतर आपत्तिजनक सामग्री को हटाना होगा। इसके अलावा एक नोडल अधिकारी और रेसिडेंट ग्रीवांस अधिकारी  को नियुक्त करना होगा जो भारत का रहने वाला होगा। इन दोनों अधिकारियों को 15 दिनों के भीतर शिकायतों का निपटारा करना होगा। इसके अलावा प्लेटफॉर्म्स को हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी कि कितनी शिकायतें मिली हैं और कितनी का समाधान किया गया है।

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