सड़क दुर्घटना होने पर घायलों का तुरंत इलाज कराने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय एक महत्वपूर्ण एंबुलेंस योजना पर काम कर रहा है। ऐसी तकनीकी व्यवस्था करने की तत्परता है कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क दुर्घटना होते ही एम्बुलेंस और पुलिस को तुरंत सूचित किया जाएगा। जीपीएस सिस्टम से लैस एंबुलेंस होगी।
इसी तरह, सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए मंत्रालय कई नई योजनाओं पर भी काम कर रहा है। सड़क दुर्घटनाओं को
रोकने के लिए देश भर के आईआईटी, एनआईटी जैसे इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ भी काम चल रहा है।
एक सवाल के जवाब में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव, गिरिधर अरमान ने कहा कि सड़क सुरक्षा की
दिशा में आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र पर काम चल रहा है। एम्बुलेंस, पुलिस नियंत्रण कक्ष, अस्पताल सभी सड़क दुर्घटनाओं के
पीड़ितों के एक नेटवर्क से जुड़े होंगे और तत्काल उपचार प्राप्त करेंगे और राहत और बचाव कार्यों की सुविधा भी प्रदान करेंगे।
वाहन निर्माण कंपनियों को अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा
मानकों का पालन करने के लिए भी निर्देशित किया जाता है।
हादसा होते ही रियल टाइम जानकारी मिल जाएगी।
सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना भी जल्द ही शुरू की जाएगी। इसके लिए
स्वास्थ्य मंत्रालय से भी बातचीत चल रही है।
मंत्रालय देश में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए इन दिनों विश्व बैंक की मदद से एकीकृत सड़क दुर्घटना परियोजना
पर भी काम कर रहा है। ब्लैक स्पॉट की भी पहचान की जा रही है,
जहां सड़क सुरक्षा से संबंधित व्यवस्था की जा रही है।
वाहन निर्माण कंपनियों को अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का पालन करने के लिए भी निर्देशित किया जाता है।
सड़क दुर्घटना के पीड़ितों में से ढाई लाख तक का इलाज मुफ्त होगा।
सड़कों के डिजाइन पर भी ध्यान दिया जा रहा है ताकि सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, कैशलेस उपचार योजना शुरू होने से
पीड़ितों के परिवारों को बहुत फायदा होगा। यह योजना सर्वोच्च न्यायालय
द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि योजना के शुरू होने के बाद सड़क दुर्घटना के
पीड़ितों में से ढाई लाख तक का इलाज मुफ्त होगा।