पीएमसी बैंक घोटाला वो सबकुछ जो आप जानना चाहते है।

लोग पैसों के लिए क्यों आरबीआई और सरकार से लगा रहे गुहार?
पीएमसी बैंक घोटाला वो सबकुछ जो आप जानना चाहते है।

न्यूज – पंजाब एवं महाराष्ट्र सहकारी बैंक (पीएमसी) में हुआ साढ़े चार हजार से ज्यादा का घोटाला लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है ऐसे में पीएमसी के ग्राहक अपने पैसो के लिए आरबीआई और सरकार से तो गुहार लगा ही रहे है साथ ही अदालतों के चक्कर काट रहे है।

आज हम आपको पीएमसी बैंक घोटाले की पुरी कहानी बतायेंगे जिससे आपको बता चलेगा कि ये घोटाला हुआ कैसे और इस घोटाले में कौन-कौन शामिल है।

हमारे देश के बैंको में 160 करोडं से ज्यादा बैंक खाते है, घोटाला पीएमसी बैंक में हुआ है लेकिन आपको भी सतर्क रहने की जरूरत है  इसलिए बैंक में जिनके खाते है या बैंकिंग सिस्टम से जूडे लोगों को खतरों और अपने अधिकारों की पुरी जानकारी होनी ही चाहिए।

पीएमसी की देश में कुल 130 शाखाएं हैं। इनमें से सबसे अधिक 103 महाराष्ट्र और 15 कर्नाटक में हैं। गोवा और दिल्ली में छह-छह शाखाएं हैं। इन सभी शाखाओं में करीब 51 हजार लोगों के खाते थे।

23 सिंतबर को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पीएमसी बैंक के कामकाज पर 6 महिने की रोक लगा दी थी। क्योंकि इस बैंक के अधिकारियों पर 4500 साढें चार करोड घोटाले का आरोप है। आरबीआई के निर्देशों के अनुसार गाहको को 1000 रूपये से ज्यादा राशि निकालने की अनुमति नहीं थी। हालाकि अब इसे बढ़ाकर 25 हजार रूपये कर दिया गया है।

यानी कि आज भी पीएमसी बैंक के खाताधारक 25 हजार रूपये से ज्यादा बैंक से नहीं निकाल सकते है। लेकिन बैंक के ग्राहकों की परेशानियों अभी खत्म नहीं हुई है। बल्कि ये तो शूरू हुई है।

अपनी मेहनत के पैसे बैंकिग सिस्टम में पहुंचाने वाले लोगों के पैसे, अधिकारी, नेता और उधोगपतियों एक गठजोड़ बनाकर हड़प लेते है। ये लोग आपकी मेहनत से जमा की गई पुंजी को हडपकर अपनी बना लेते है।

अब आपको बताते है ये घोटाला है क्या..

लोगों ने अपनी मेहनत और जीवन भर की कमाई पीएमसी बैंक में जमा करा दी, लेकिन बैंक ने वो कमाई एक प्राइवेट कंपनी को दे दी। और उस कंपनी का नाम है एचडीआईएल,

फिलहाल इसकी जांच जारी है लेकिन अब तक हुई जांच में जो निकल कर सामने आया है वो ये है कि हाउंसिग डवलपमेंट एण्ड इन्फ्राटेक्चर लिमिटेड यानी एचडीआई को फायदा पंहुचाने के लिए इस बैंक ने अपने हजारों खाताधारकों को जीवन बर्बाद कर दिया। उनके पैसे डूबो दिये।

एचडीआईएल कंपनी का हेड ऑफिस मुंबई में है। यह एक रियल स्टेट कंपनी है जो अभी दिवालिया होने की कगार पर है। पीएमसी के कुल लोन में से 73 फीसदी यानी की 6500 करोड़ रूपये अकेली इसी कंपनी के पास लोन के रूप में है।

अब हम आपको बताते है कि इस घोटाले के मास्टरमांइड कौन है,

इस घोटाले के मास्टरमाइंड चार लोग है, ये चार लोग है पीएमसी बैंक के चैयरमैन वरयम सिंह, बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर जॉय थॉमस, और एचडीआईएल कंपनी के प्रमोटर राकेश वधावन और सारंग वधावन राकेश वधावन और सारंग वधावन पिता-पुत्र है।

पीएमसी बैंक के चैयरमैन वरयम सिंह पर एचडीआईएल के प्रमोटरों को फायदा पहुंचाने का आरोप है। फिलहाल ये चारों आरोपी पुलिस के गिरफ्त में है और इनसे पूछताछ की जा रही है।

बताया जा रहा है एचडीआईएल को दिया गया लोन पीएमसी बैंक की कुल पूंजि से ज्यादा है और इस कंपनी को फायदा पंहुचाने के लिए बैंक ने बैलेंसशीट में भी गड़बड़ की और एनपीए को 4 फीसदी से कम दिखाया।

यानी की बैंक ने अपने ग्राहको को तो धोखे में रखा ही साथ ही रैगुलेटर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी  सही स्थिती की जानकारी नहीं दी और धोखे में रखा।

घोटाले और एनपीए को छिपाने के लिए एचडीआईएल से जूडे 44 लोन खातों को 21 हजार काल्पनिक खातो में बदल दिया यानी कि 21 हजार नकली बैंक अंकाउट खोले गए, ये लोन उन नकली 21 हजार खातों में दिखा दिया, लेकिन ये लोन सिर्फ एक ही कंपनी को दिया गया।

इस बैंक के चैयरमैन वरमय सिहं की एचडीआईएल में 1.92 फीसदी हिस्सेदारी थी। यानी की एक बैंक का चैयरमेन एक दुसरी प्राइवेट कंपनी में पार्टनर रहा था। 2015 में वरमय सिंह ने एचडीआईएल छोड दी और पीएमसी के चैयरमैन बन गये।

अब सवाल ये है ऐसे घोटालों के बाद भी लोगों का बेंकों पर क्या भरोसा बरकरार रहेगा। या फिर बाकि बैंकों के प्रति लोगों का नजरिया बदलेगा।

क्योंकि बैंकों में आम आदमी अपनी मेहनत की कमाई जमा कराते रहें और बैंक अधिकारी घोटालें करते है। लोंगों का कहना है कि सरकार इसे लेकर जरूरी कदम उठाये, बैल आउट पैकेज जारी करें ताकि लोगो को उनका पैसा मिल सकें।

आरबीआई की देखरेख के बावजूद इतना बडा घोटाला हो कैसे गया, और मोदी सरकार इस पर चुप क्यों है, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कह रही है कि वो आरबीआई से बात कर इस मसले पर समाधान निकालेगी। लेकिन जो लोग सडकों पर है यही सोच रहे कि उनका जीवन अब कैसे चलेगा, आखिर इसमें उन लोगों का क्या कसूर है जिन्होनें जिंदगीभर मेहनत की और सारी कमाई इस बैंक में जमा करा दी। इससे सीधा सीधा आरोप है कि आखिर हजारों लोगों का जीवन किसने बर्बाद किया।

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