जिस काम पर लगाए UPA सरकार ने 4800 करोड़ , खारिज किया उसे NDA सरकार ने

मनमोहन सिंह की UPA सरकार ने जिस सामाजिक आर्थिक जनगणना पर 4800 करोड़ लगाए उसके डाटा को मोदी सरकार ने बताया बिना किसी काम का
जिस काम पर लगाए UPA  सरकार ने 4800 करोड़ , खारिज  किया उसे NDA सरकार ने

साल 2011 केंद्र मे तब की मनोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार हुआ करती थी। तब जातिगत जनगणना कि मांग पोरे देश मे उठी थी। जिस पर तत्कालीन सरकार ने हजारो करोड़ रुपये खर्च कर जाति आधारित जनगणना करवाई थी। लेकिन तब इस जनगणना कि समर्थन करने वाली बीजेपी आज केंद्र मे रहते हुए सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा दायर कर इस जंगराना के डाटा को किसी काम का होने से इंकार कर दिया हैं।

जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी

जैसे जैसे यूपी मे चुनाव नजदीक आ रहा है। इस नारे की गूँज फिर सुनाई देने लगी है। मोदी सरकार ने अपना आधार मजबूत करने के लिए
एक के बाद एक कदम उठाने शुरू किये तो एक पुराना जिन्न बोतल से बाहर आ गया। OBC आरक्षण का मुद्दा उठा तो विपक्ष ने सवाल उठाया कि सरकार जाती आधारित जनगणना कब करवा रही हैं

अब जिस पार्टी से आने वाले कद्दावर ने नेता ने पिछड़ी जाति को सर पे मुकुट की तरह पहना हो उसे ही सवाल का जवाब देना मुश्किल लगने लगा। जबकि UPA ज़माने मे जाति आधारित जनगणना की बात छिड़ी थी तब भाजपा ने इसका खुल कर समर्थन किया था।
आखिर वो कौन सी कश्मकश है जिसके चलते सरकार खुल कर नही कह पा रही कि वो जाति आधारित जनगणना करवाना चाहती है

पिछले मानसून सत्र मे विपक्ष ने उठाया था मुद्दा

विपक्ष ने मोदी सरकार से पूंछा था की 2021 मे जाति आधारित जनगणना होगी या नही होगी। अगर नही होगी तो क्यों नही होगी ?

सरकार का जवाब था

मोदी सरकार ने लिखित जवाब मे कहा था कि सिर्फ SC – ST को ही गिना जायेगा। यानि OBC जातियों को गिनने का कोई प्लान नही हैं।
कहने का मतलब ये कि केंद्र कि सत्ता मे जो भी पार्टी होती है वो जातिगत जनगणना को लेकर असहज रहती है। विपक्ष मे रहती हैं तो मुद्दा बनती हैं।

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