साल 2011 केंद्र मे तब की मनोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार हुआ करती थी। तब जातिगत जनगणना कि मांग पोरे देश मे उठी थी। जिस पर तत्कालीन सरकार ने हजारो करोड़ रुपये खर्च कर जाति आधारित जनगणना करवाई थी। लेकिन तब इस जनगणना कि समर्थन करने वाली बीजेपी आज केंद्र मे रहते हुए सुप्रीम कोर्ट मे हलफनामा दायर कर इस जंगराना के डाटा को किसी काम का होने से इंकार कर दिया हैं।
जैसे जैसे यूपी मे चुनाव नजदीक आ रहा है। इस नारे की गूँज फिर सुनाई देने लगी है। मोदी सरकार ने अपना आधार मजबूत करने के लिए
एक के बाद एक कदम उठाने शुरू किये तो एक पुराना जिन्न बोतल से बाहर आ गया। OBC आरक्षण का मुद्दा उठा तो विपक्ष ने सवाल उठाया कि सरकार जाती आधारित जनगणना कब करवा रही हैं
अब जिस पार्टी से आने वाले कद्दावर ने नेता ने पिछड़ी जाति को सर पे मुकुट की तरह पहना हो उसे ही सवाल का जवाब देना मुश्किल लगने लगा। जबकि UPA ज़माने मे जाति आधारित जनगणना की बात छिड़ी थी तब भाजपा ने इसका खुल कर समर्थन किया था।
आखिर वो कौन सी कश्मकश है जिसके चलते सरकार खुल कर नही कह पा रही कि वो जाति आधारित जनगणना करवाना चाहती है
विपक्ष ने मोदी सरकार से पूंछा था की 2021 मे जाति आधारित जनगणना होगी या नही होगी। अगर नही होगी तो क्यों नही होगी ?
मोदी सरकार ने लिखित जवाब मे कहा था कि सिर्फ SC – ST को ही गिना जायेगा। यानि OBC जातियों को गिनने का कोई प्लान नही हैं।
कहने का मतलब ये कि केंद्र कि सत्ता मे जो भी पार्टी होती है वो जातिगत जनगणना को लेकर असहज रहती है। विपक्ष मे रहती हैं तो मुद्दा बनती हैं।