न्यूज़- संगोलीपुर मड़ैयन घाट पर शनिवार को यमुना नदी पार करते समय एक नाव अनियंत्रित होकर पलट गई। नाव पर दरोगा, सिपाही समेत चार लोग सवार थे। रविवार को घंटों मशक्कत के बाद एनडीआरएफ की टीम ने तीनों के शव को बरामद किया। एडीआरएफ की टीम ने दरोगा रामजीत, कांस्टेबल शशिकांत व नाविक रविवार सुबह बारी-बारी बाहर निकाले गए। बता दें कि यह नाव से लॉकडाउन की निगरानी कर रहे थे।
फतेहपुर में शनिवार को यमुना नदी में डूबे जौनपुर निवासी दरोगा रामजीत यादव, कासमाबाद गाजीपुर निवासी सिपाही शशिकांत व संगोलीपुर मड़ैयन निवासी नाविक रवि के शव आज मिल गए हैं। इनकी खोज कल से ही एनडीआरएफ, पीएसी व स्थानीय गोताखोर कर रहे थे। इनकी खोज का यह अभियान पुलिस अधीक्षक प्रशांत वर्मा की अगुवाई में चलाया जा रहा था। दारोगा रामजीत के साथ सिपाही शशिकांत लॉकडाउन अनुपालन में शनिवार को यमुना घाट किनारे पहुंचे थे। यह लोग यमुना पार कर रहे लोगों को वापस भेजने के चक्कर एक नाव में सवार हो गए थे।
रविवार को इनके शव मिलने के बाद घाट किनारे मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। इनके शव मिलने के बाद घर-परिवार के लोग घाट पर पहुंच गए, जिससे वहां का माहौल काफी गमगीन हो गया। घटना की सूचना पर एसआई और कांस्टेबल के परिवारीजन भी पहुंच गए हैं। शव देखते ही परिजनों में कोहराम मच गया। पुलिस ने शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेजे हैं। बता दें कि एनडीआरएफ टीम वाराणसी व बांदा ने मिलकर तीनों के शव यमुना से निकाले हैं। बताया जा रहा है कि तीनों के शव नाव के नीचे दबे हुए थे।
दरअसल, कोरोना वायरस के खतरे के चलते लागू लॉकडाउन में जिले की सीमाएं पूरी तरह से सील कर दी गई हैं। इसके बावजूद बांदा जिले से तमाम लोग यमुना नदी के रास्ते नाव से फतेहपुर जिले में आया जाया करते हैं। किशनपुर थाने में तैनात उपनिरीक्षक रामजीत अपने हमराही सिपाही शशिकांत के साथ नाव से इस पार आने वालों पर नजर बनाए हुए थे। इसी बीच उनकी नाव तेज हवा के चलते यमुना नदी के गहरे पानी मे डूब गई थी।