हरियाली तीज के ​पर्व में जानें इसका महत्व और पूजा विधि

सौंदर्य और प्रेम भक्ति के इस पर्व को श्रावणी तीज भी कहा जाता है महिलाएं सोलह श्रृंगार कर अपने पति की लम्बी उम्र और सुख शान्ति के लिए व्रत रखती
हरियाली तीज के ​पर्व में जानें इसका महत्व और पूजा विधि

डेस्क न्युज – हरियाली तीज हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष को मनाई जाती है।अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए तीज व्रत रखा जाता है। इस दिन मायके से बेटी के लिए साड़ी, श्रृंगार सामग्री, फल इत्यादि आते हैं।  इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है अपने पति की लम्बी उम्र और सुख शान्ति के लिए व्रत रखती हैं महिलाएं श्रृंगार कर माता पार्वती और शिव भगवान की पूजा करती हैं। सौंदर्य और प्रेम भक्ति के इस पर्व को श्रावणी तीज भी कहा जाता है ।

हरियाली तीज मुहूर्त का समय

हरियाली तीज 22 जुलाई को शाम 07:21 बजे शुरु से होगी और इसकी समाप्ति 23 जुलाई को 05:02 बजे पर  खत्म होगी।

हरियाली तीज की पूजा विधि कैसे की जाती है ।

हरियाली तीज के दिन महिलाएं हरे रंग का प्रयोग करती हैं। इस दिन ससुराल से बेटी को मायके बुलाया जाता ​है । मायके से बेटी के लिए साड़ी, श्रृंगार सामग्री, फल मिठाई ससुराल भेजा जाता हैं। यह व्रत निर्जला रखा जाता है। शाम के समय महिलाएं श्रृंगार कर व्रत कथा सुनती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। माता पार्वती के सामने कथा सुननी चाहिए।

हरियाली तीज भगवान शिव और मां पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। अच्छे वर की मनोकामना के लिए इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं। इस दौरान महिलाएं कीर्तन भी करती हैं हरियाली तीज व्रत का पूजन रात्रि तक चलता है इस दिन घर ​में साफ करके रखना चाहिए । शिवलिंग भगवान गणेश और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं और इसे चौकी पर स्थापित करें , इनकी ​पूजा की जाती है । हरियाली तीज के दिन महिलाएं हरे रंग का प्रयोग से करती हैं  यह व्रत निर्जला रखा जाता है।

हरियाली तीज की क्या है परंपरा 

इस मौके पर लड़कियों को ससुराल से मायके बुलाया जाता है। इस दिन मेहंदी विशेष तौर पर ल​गाई जाती है ।पैरों में आलता भी लगाया जाता है इसे सुहाग की निशानी माना जाता है महिलाएं श्रृंगार करती है नए वस्त्र पहनकर माता पार्वती की पूजा करती हैं इस दिन कुंवारी कन्याएं व्रत रखती है अच्छे वर को पाने के ​लिए । झूला झूलने ​की परंपरा भी है ।

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