#TokyoParalympics : राजस्थान की अवनि लेखरा ने इतिहास रच दिया। टोक्यो पैरालिंपिक में अवनि लेखरा ने 10 मीटर एयर राइफल में भारत को पहला गोल्ड दिलाया है। फाइनल में 249.6 पॉइंट हासिल कर उन्होंने यूक्रेन की इरिना शेटनिक के रिकॉर्ड की बराबरी की। शूटिंग में गोल्ड जीतने के साथ ही अवनि देश की पहली महिला खिलाड़ी बन गई, जिसने ओलिंपिक या पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीता हो।
जयपुर की रहने वाली अवनि ने 9 साल पहले कार एक्सीडेंट में अपने दोनों पैर गंवा दिए थे। अवनि व्हीलचेयर पर हैं। उनके मेडल जीतते ही उनके पिता प्रवीण लेखरा ने कहा कि "उन्हें यकीन नहीं हो रहा कि उनकी बेटी ने गोल्ड जीत लिया है। मेडल की उम्मीद थी, मगर यह नहीं सोचा था कि गोल्ड आ जाएगा। शब्द नहीं हैं, कैसे बयान करूं।"
साल 2012 में महज 12 साल की उम्र में अवनी लेखरा की जिंदगी बदल गई। अपने कदमों से बुलंदियां हासिल करने का सपना देखने वाली अवनी साल 2012 में हुए एक्सीडेंट के चलते सीधे व्हीलचेयर पर आ गई। 12 साल की उम्र में पैरालाइज की दंश झेलने वाली अवनी यहां रुकने वाली नहीं थी।
एक्सीडेंट के महज तीन साल बाद ही अवनी ने शूटिंग को अपनी जिंदगी बनाया और महज 5 साल के अंतराल में ही अवनी ने गोल्डन गर्ल का तमगा हासिल कर लिया। राजधानी जयपुर की रहने वाली अवनी ने सोमवार को टोक्यो में पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता इसी के साथ वह पैरालंपिक खेलों में गोल्ड जीतने वाली देश की पहली महिला भी बन गई है।
अवनी लेखरा वो नाम है, जिसको पूरा विश्व गोल्डन गर्ल के नाम से जानता है। शूटिंग प्रतियोगिताओं में मानो गोल्ड पर निशाना साधना अवनी की आदत बन गई है। 6 साल के अपने करियर में अवनी ने कितने गोल्ड पर निशाना साधा है ये अवनी तक को पता नहीं है और इसी खेल के दम पर अवनी ने अगस्त 2021 में टोक्यो में होने वाले पैरालंपिक का टिकट कटवाया है और अब अवनी का पैरालंपिक खेलों में गोल्ड जीतने का लक्ष्य भी पूरा हो गया।
कोरोना के चलते पिछले एक साल से अवनी की प्रैक्टिस पर काफी असर डाला, लेकिन उनके पिता ने घर में टारगेट सेट कर अवनी की प्रैक्टिस में कोई कसर नहीं छोड़ी।
जब अवनी पैरा ओलम्पिक की तैयारी कर रही थी तब उसने कहा था कि "वो कोरोना के चलते घर पर ही टारगेट पर प्रैक्टिस कर रही हैं। साथ ही इस समय पूरा ध्यान पैरालंपिक में गोल्ड पर निशाना साधना ही लक्ष्य है। इसके लिए वो नियमित रूप से जिम और योगा पर ध्यान दे रही हैं, साथ ही आज तक पैरा ओलम्पिक में किसी महिला खिलाड़ी ने गोल्ड नहीं जीता है ऐसे में उनका लक्ष्य है की पैरा ओलम्पिक में गोल्ड पर निशाना साधकर देश के झंडे को सबसे ऊपर लहराता हुए देखें।" और वो आज सच साबित हो गया।
अवनी के लक्ष्य पर निशाना साधने में सबसे बड़ी भूमिका अवनी के माता-पिता की रही है। अवनी के पिता प्रवीण लेखरा और श्वेता लेखरा का कहना है कि "12 साल की उम्र में जब अवनी को पैरालाइसिस हुआ तो ये काफी टूट गई थी। उस समय सोचा की अवनी को किसी खेल से जोड़ा जाए और आज परिणाम सबके सामने है। खेल के साथ ही अवनी पढ़ाई में भी काफी होशियार है। इसके साथ ही अन्य एक्टीविटी में भी अवनी सबसे अव्वल रहती है।"