उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ से लगभग 24 किलोमीटर दूर पांग गाँव में एक ग्लेशियर फिसलने से ऋषि गंगा पर बने बिजली परियोजना के टूटने का कहर मच गया । वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के खुलासे के कारण पूरी परियोजना
चर्चा में आ गई है। इसके बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट क्या है?
उमा भारती ने इस परियोजना का विरोध क्यों किया? यह किसके शासन में शुरू हुआ था?
उमा भारती ने कहा है कि “जब मैं एक मंत्री थी, तो हिमालयी उत्तराखंड के बांधों के बारे में अपने मंत्रालय द्वारा दिए गए
हलफनामे में, मैंने अनुरोध किया था कि हिमालय एक बहुत ही संवेदनशील जगह है।
” इसलिए, गंगा और उसकी मुख्य
सहायक नदियों पर बिजली परियोजनाओं का निर्माण नहीं किया जाना चाहिए और इस वजह से उत्तराखंड की जो 12 फीसदी की क्षति होती है, वह नेशनल ग्रिड से पूरी कर देनी चाहिए.”
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट का निर्माण वर्ष 2008 में शुरू हुआ था
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट का निर्माण वर्ष 2008 में शुरू हुआ था। इस परियोजना से 13.2 मेगावाट बिजली पैदा करने की योजना थी। इस परियोजना के
समय से पहले तैयार होने के कारण, बिजली उत्पादन भी वर्ष 2011 में शुरू हुआ। बिजली उत्पादन 2016 तक लगातार जारी रहा। हालांकि, कंपनी के
दिवालिया हो जाने के बाद परियोजना को 2018 में दूसरी कंपनी
को बेच दिया गया था। बिजली उत्पादन पिछले साल जून में फिर से शुरू हुआ, लेकिन एक दुर्घटना हुई।
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट प्राइवेट सेक्टर की है
ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट निजी क्षेत्र से संबंधित है। यह परियोजना शुरुआत से ही विवादों में रही है। पर्यावरणविदों और
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने परियोजना का खुलकर विरोध किया। परियोजना को बंद करने के लिए अदालत का दरवाजा
खटखटाया। हालांकि, परियोजना को रोका नहीं जा सका। अभी यहां पानी से बिजली का उत्पादन किया जाता है।
यह परियोजना ऋषि गंगा नदी पर बनी है। कहा जाता है कि यदि परियोजना पूरी क्षमता से काम करती है
तो दिल्ली, हरियाणा सहित अन्य राज्यों में बिजली की आपूर्ति करने की योजना है।
बिजली उत्पादन वर्ष 2011 में शुरू हुआ
विदित हो कि 13 अक्टूबर, 1999 से 22 मई, 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के तीसरे कार्यकाल में
उमा भारती केंद्रीय मंत्री थीं। इस दौरान उन्होंने इस परियोजना के बारे में अपनी बात रखी थी। मंत्रालय की
ओर से, उन्होने अदालत में एक हलफनामा दिया और बिजली परियोजना नहीं बनने की सिफारिश की। हालाँकि, 2004 के आम चुनावों में कांग्रेस की सरकार बनी थी। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। उसके बाद परियोजना का निर्माण कार्य वर्ष 2008 में शुरू हुआ।
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