राजस्थान में अनियंत्रित कोरोना: कोटा के अस्पतालों ने हाथ खड़े किए, अजमेर में समिति तय करेगी कि मरीज को भर्ती किया जाए या नहीं, हर चौथी रिपोर्ट पॉजिटिव

राजस्थान में बेकाबू होते कोरोना ने सरकार के साथ-साथ आम जनता की शांति को भी छीन लिया है। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक की व्यवस्था हांफ रही है। ऑक्सीजन की कमी और रेमडेसिविर इंजेक्शन ने दावों की पोल खोल दी है। जिस दर पर यहां सक्रिय मामले बढ़ रहे हैं, रिकवरी दर में कमी आ रही है। अप्रैल की बात करें तो रिकवरी रेट में 20 प्रतिशत की कमी आई है। दूसरी ओर, राज्य और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं
राजस्थान में अनियंत्रित कोरोना: कोटा के अस्पतालों ने हाथ खड़े किए, अजमेर में समिति तय करेगी कि मरीज को भर्ती किया जाए या नहीं, हर चौथी रिपोर्ट पॉजिटिव

राजस्थान में बेकाबू होते कोरोना ने सरकार के साथ-साथ आम जनता की शांति को भी छीन लिया है। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों तक की व्यवस्था हांफ रही है। ऑक्सीजन की कमी और रेमडेसिविर इंजेक्शन ने दावों की पोल खोल दी है। जिस दर पर यहां सक्रिय मरीजों के मामले बढ़ रहे हैं, रिकवरी दर में कमी आ रही है। अप्रैल की बात करें तो रिकवरी रेट में 20 प्रतिशत की कमी आई है। दूसरी ओर, राज्य और केंद्र सरकार आमने-सामने हैं।

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राजस्थान में बेकाबू होते कोरोना ने सरकार के साथ-साथ आम जनता की शांति को भी छीन लिया है

बड़ी संख्या में मामलों के बावजूद, रेमडेसिविर इंजेक्शन

और ऑक्सीजन का कोटा कम देने का आरोप-प्रत्यारोप का

दौर चल रहा है। राजस्थान में संक्रमण ज्यादा और गुजरात

में यहां के मुकाबले केस कम होने के बावजूद दोहरा

मापदंड अपनाया जा रहा है। सरकार ने दावा किया है कि राजस्थान को 205 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का कोटा मिल रहा है,

जबकि गुजरात को इससे 4 गुना अधिक मिल रहा है। रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। राजस्थान को

26 हजार 500 ही दिए गए हैं। गुजरात को इससे 6 गुना ज्यादा मिला है।

निजी अस्पतालों में इस जीवनरक्षक इंजेक्शन की खुराक नाममात्र की है

जयपुर की बात करें तो यहां के निजी अस्पतालों में इस जीवनरक्षक इंजेक्शन की खुराक नाममात्र की है। गुरुवार को जब ड्रग कंट्रोल यूनिट के अधिकारियों ने शहर के दो बड़े निजी अस्पतालों का दौरा किया और वहां इंजेक्शनों का स्टॉक देखा तो वे भी चौंक गए। इन दोनों प्रमुख अस्पतालों में केवल 11 खुराक के इंजेक्शन पाए गए, जबकि 150 से अधिक रोगियों को यहां भर्ती किया गया है।

डेढ़ दिन का ऑक्सीजन कोटा बचा

निजी अस्पताल संचालकों के समूह ने गुरुवार को जिला कलेक्टर को बताया कि शहर के अधिकांश अस्पतालों में डेढ़ दिन के लिए ऑक्सीजन बची है। इससे न केवल कोविड रोगियों के लिए, बल्कि अन्य बीमारियों से पीड़ित रोगियों के लिए भी खतरा बढ़ गया है। वहीं, निजी अस्पतालों में बेड भी लगभग भर चुके हैं। सरकारी कोविड अस्पताल आरयूएचएस और जयपुरिया अस्पताल में मरीजों को बेड भी उपलब्ध नहीं हो रहे है।

अजमेर: समिति तय करेगी कि मरीजों को भर्ती किया जाए या नहीं

अजमेर की बात करें तो यहां के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जेएलएन में स्थिति खराब होती जा रही है। हर दिन मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हर दिन 2300 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत हो रही है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अस्पताल प्रबंधन ने एक समिति बनाई है, जो यह तय करेगी कि निजी अस्पतालों से आने वाले मरीजों को भर्ती किया जाए या नहीं। वर्तमान में अजमेर में लगभग 3600 सक्रिय मामले हैं।

कोटा : अस्पताल में मरीजों की भर्ती पर लगी अघोषित रोक

कोटा में हालात बेकाबू हो गए हैं। यहां के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड फुल होने के बाद अब मरीजों की भर्ती पर संकट है। सूत्रों के मुताबिक, कोटा के कोविड अस्पतालों ने भी पिछले 3 दिनों से मरीजों को भर्ती करना बंद कर दिया है। कहा जा रहा है कि अस्पतालों में न तो बेड हैं और न ही ऑक्सीजन। कुछ स्ट्रेचर पर लेटे हुए हैं और जमीन पर अपना इलाज करवा रहे हैं। यहां के सभी 9 कोविड अस्पताल 100 प्रतिशत फुल हैं।

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सक्रिय मामले एक लाख से अधिक हो गए, संक्रमण दर में 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई

कोरोना से स्थिति कितनी खराब है, सक्रिय मामले और संक्रमण दर के आंकड़े बता रहे हैं। राज्य में संक्रमण की दर गुरुवार को 18 प्रतिशत से बढ़कर 24.67 हो गई। राज्य में कुल 58,635 नमूनों की जांच की गई, जिसमें हर चौथे नमूने के सकारात्मक होने की सूचना मिली। राज्य भर में सक्रिय मामलों की संख्या एक लाख 7,157 तक पहुंच गई।

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