उत्तर प्रदेश के निजी अस्पतालों ने महिला नसबंदी में कीर्तिमान स्थापित किया है। वर्ष 2020-21 में निजी अस्पतालों ने हौसला साझीदारी कार्यक्रम के तहत अपने लक्ष्य 37,500 के मुकाबले 62,774 महिला नसबंदी कर 167.39 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की है। इसे कोरोना काल में मिसाल के तौर पर दर्ज किया गया है। जबकि पिछले छह साल में इस कार्यक्रम के तहत तीन लाख महिलाओं की नसबंदी की जा चुकी है।
कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी राजेश बांगिया ने कहा कि राष्ट्रीय
स्वास्थ्य मिशन ने सिफ्सा को वित्त पोषित हौसला साझीदारी कार्यक्रम
को चलाने की जिम्मेदारी दी है. यह कार्यक्रम परिवार नियोजन के
क्षेत्र में निजी सेवा प्रदाताओं के साथ साझेदारी में चलाया जाता है।
पिछले कुछ वर्षों में इस कार्यक्रम के तहत राज्य के 1062 निजी अस्पतालों को पैनल में शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत पिछले छह वर्षों में तीन लाख से अधिक महिलाओं और 5694 पुरुष नसबंदी सेवाएं प्रदान की गई हैं। इसके अलावा पिछले छह वर्षों में कॉपर-टी की 16,6,828 सेवाएं, 75,631 गर्भनिरोधक गोलियां और 61,412 गर्भनिरोधक इंजेक्शन भी दिए गए। 3,32,551 लाभार्थियों को कंडोम दिए गए।
वर्ष महिला नसबंदी पुरुष नसंबदी
2015-16 — 21764 — 424
2016-17 — 45990 — 2962
2017-18 — 51681 — 1086
2018-19 — 57373 — 305
2019-20 — 60445 — 787
2020-21 — 62774 — 130
मिशन परिवार विकास कार्यक्रम प्रदेश के 57 जिलों में चलाया जा रहा है जहां जनसंख्या दर अधिक है। हौसला साझीदारी कार्यक्रम के तहत महिला नसबंदी पर लाभार्थी को 1400 रुपये और पुरुष नसबंदी के लाभार्थी को 2000 रुपये प्रतिपूर्ति राशि के रूप में दिए जाते हैं। मिशन परिवार विकास जिलों में निजी अस्पतालों को अन्तराल/गर्भपात पर महिला नसबंदी पर 2500 प्रति लाभार्थी, प्रसव के बाद महिला नसबंदी पर प्रति लाभार्थी 3000, पुरुष नसबंदी पर 2500 प्रति लाभार्थी और गैर-मिशन परिवार विकास जिलों में निजी अस्पतालों को 2000 रुपये। नसबंदी के लिए प्रति लाभार्थी महिलाओं और पुरुषों को दिया जाता है।