अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत क्वाड (Quad समूह) के अन्य देशों के साथ बैठक कर सकते हैं। बैठक की मेजबानी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन करेंगे। क्वाड, लोकतांत्रिक देशों के समूह में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर इस बैठक की तारीख का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन यह पहली बैठक होगी जब क्वाड देशों के नेता आमने-सामने होंगे।
साथ ही इस बैठक में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच आमने-सामने मुलाकात होगी, इंडो-पैसिफिक रीजन के यूएस कोऑर्डिनेटर कर्ट कैंपबेल ने मंगलवार को एशिया सोसाइटी थिंक-टैंक द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस बैठक से संबंधित घोषणा की।
कर्ट कैंपबेल ने मंगलवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन इस साल ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के नेताओं के साथ एक शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे। बैठक वैक्सीन कूटनीति और बुनियादी ढांचे के लिए एक 'निर्णायक' प्रतिबद्धता लाएगी। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि इस समिट को भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों से जोड़ा जा सकता है या नहीं।
पिछले शिखर सम्मेलन में, क्वाड देशों ने 2022 में इंडो-पैसिफिक देशों के बीच एक बिलियन जॉनसन एंड जॉनसन खुराक वितरित करने का वादा किया था। कैंपबेल ने कहा कि भारत में COVID-19 मामलों में वृद्धि के बावजूद यह परियोजना पटरी पर है। क्वाड समिट, जिसे 'क्वाड्रैंगल सिक्योरिटी डायलॉग' के नाम से जाना जाता है, 2007 में अपनी स्थापना के बाद से समय-समय पर चार सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से मिलता रहा है।
क्वाड के सदस्यों ने अपने क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच इंडो-पैसिफिक में नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने का संकल्प लिया है।
इससे पहले चार देशों के नेता वर्चुअल माध्यम से बीते मार्च महीने में मिले थे। इस बैठक को लेकर चीन तिलमिला गया था। बैठक से परेशान चीन ने कहा था कि अगर क्वाड अपने विरोधात्मक पूर्वाग्रह और कोल्ड वॉर मानसिकता को खत्म नहीं करता है तो वह बिना किसी अंजाम तक पहुंचे खत्म हो जाएगा और उसे कोई समर्थन भी नहीं मिलेगा। बीजिंग ने क्वाड या चतुर्भुज सुरक्षा संवाद को एक विचारधारा पर आधारित एक गुट बताते हुए उसे, 'अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के लिए हानिकारक' करार दिया था।
मार्च में हुए शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने भाग लिया था। चार देशों की सदस्यता वाले 'क्वाड' समूह के नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहे चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए इस बात पर पुन: जोर दिया था कि वे यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि यह क्षेत्र सभी के लिए सुगम हो और नौवहन की स्वतंत्रता एवं विवादों के शांतिपूर्ण समाधान जैसे मूल सिद्धांतों एवं अंतराष्ट्रीय कानूनों के अनुसार इसका संचालन हो।