डेस्क न्यूज़- रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन इलाके में 153 लोगों के मारे जाने की आशंका है। तपोवन में ऋषिगंगा बिजली परियोजना और एनटीपीसी परियोजना स्थल को सबसे अधिक नुकसान हुआ। अब तक 14 शव अलग-अलग जगहों से बरामद किए गए हैं। एनटीपीसी परियोजना स्थल में दो सुरंगें हैं। पहली सुरंग में फंसे 16 लोगों को बचाया गया है। दूसरी सुरंग में, 30 मजदूर फंसे हुए थे। रविवार रात पानी बढ़ने के कारण 900 मीटर लंबी सुरंग में बचाव अभियान रोक दिया गया। एनडीआरएफ की टीम ने सोमवार सुबह जल स्तर घटने के बाद ऑपरेशन फिर से शुरू किया।

ग्लेशियर टूटने और ऋषिगंगा नदी में गिरने के बाद हुआ हादसा
ग्लेशियर टूटने और तपोवन में रविवार सुबह 10 बजे ऋषिगंगा नदी में
गिरने के बाद यह दुर्घटना हुई। इसके कारण बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई और धौलीगंगा पर बना बांध पानी के साथ बह गया।
ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना और सरकारी कंपनी एनटीपीसी की परियोजना नष्ट हो गए। ऋषिगंगा परियोजना में 32 श्रमिक लापता हैं।
यहां से 5 किमी दूर एनटीपीसी परियोजना में 176 कर्मचारी ड्यूटी पर थे। इनमें से 121 लापता हैं।
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि सुरंग से मलबा हटाया जा रहा है। जल्द से जल्द बड़ी सुरंग को खोलने का प्रयास किया जा रहा है।
300 आईटीबीपी के जवान बचाव आभियान में जुटे
तपोवन की जिस सुरंग में 30 लोगों के फसे होने की आशंका हैं, उसमें 300 आईटीबीपी के जवान बचाव में लगे हुए हैं। वायु सेना के एमआई -17 और एएलएच हेलीकॉप्टरों ने सोमवार सुबह देहरादून से जोशीमठ के लिए उड़ान भरी। एरियल रेस्क्यू एंड रिलीफ मिशन शुरू किया। वही एनडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें तपोवन क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर बचाव अभियान चला रही हैं। आईटीबीपी के प्रवक्ता विवेक पांडे ने कहा कि जरूरत पड़ने पर और टीमें भेजी जाएंगी।
ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों का जलस्तर रविवार देर रात फिर बढ़ गया। चमोली जिला प्रशासन ने तब किनारों पर रहने वाले लोगों को सतर्क किया। वायु सेना आज प्रभावित क्षेत्रों के हवाई सर्वेक्षण के लिए वैज्ञानिकों को एयरलिफ्ट करेगी। ग्लेशियोलॉजिस्ट की दो टीमें बाढ़ के कारणों की जांच के लिए सोमवार को तपोवन भी जाएंगी।