कोरोनावायरस में डबल म्यूटेशन वाला वैरिएंट बढ़ते केसेज के लिए जिम्मेदार, 10 से ज्यादा राज्यों में सक्रिय

कोरोनावायरस ने देश में खतरनाक रूप ले लिया है। एक दिन में, नए कोरोना मामलों ने 2.33 लाख का आंकड़ा पार कर लिया है। पहली लहर में तो 97 हजार केस पर ही पीक आ गया था, पर इस बार दूसरी लहर करीब सवा दो गुना अधिक पर पहुंच चुकी है। दूसरा पीक तो अब भी आया नहीं है। वैज्ञानिकों और महामारी विज्ञानियों के बीच एक चर्चा है कि ऐसा क्यों हो रहा है? कहीं बाहर से आए वैरिएंट्स और भारत में मिला डबल म्यूटेंट वैरिएंट तो इसके लिए दोषी नहीं है
कोरोनावायरस में डबल म्यूटेशन वाला वैरिएंट बढ़ते केसेज के लिए जिम्मेदार, 10 से ज्यादा राज्यों में सक्रिय

कोरोनावायरस ने देश में खतरनाक रूप ले लिया है। एक दिन में, नए कोरोना मामलों ने 2.33 लाख का आंकड़ा पार कर लिया है। पहली लहर में तो 97 हजार केस पर ही पीक आ गया था, पर इस बार दूसरी लहर करीब सवा दो गुना अधिक पर पहुंच चुकी है। दूसरा पीक तो अब भी आया नहीं है। वैज्ञानिकों और महामारी विज्ञानियों के बीच एक चर्चा है कि ऐसा क्यों हो रहा है? कहीं बाहर से आए वैरिएंट्स और भारत में मिला डबल म्यूटेंट वैरिएंट तो इसके लिए दोषी नहीं है?

महाराष्ट्र के 61% नमूनों की जीनोम अनुक्रमण में डबल म्यूटेंट वैरिएंट वायरस होने की पुष्टि की गई है

रिपोर्ट्स के मुताबिक, डबल म्यूटेंट वेरिएंट तेजी से फैल रहा है।

महाराष्ट्र के 61% नमूनों की जीनोम अनुक्रमण में डबल म्यूटेंट

वैरिएंट वायरस होने की पुष्टि की गई है। केंद्र सरकार के सूत्रों का

कहना है कि यह डबल म्यूटेंट वैरिएंट वायरस लगभग 10 राज्यों में महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ और

झारखंड तक पहुंच गया है, जहां कुछ समय के लिए सकारात्मक मामले तेजी से बढ़े हैं।

महाराष्ट्र की बात करें तो इस साल जनवरी से मार्च के बीच पॉजिटिव आए पेशेंट्स के 361 सैम्पल लिए गए। इसकी जीनोम-सीक्वेंसिंग की गई। 220 में यानी 61% सैम्पल्स में डबल म्यूटेंट वैरिएंट की मौजूदगी मिली है।

डबल म्यूटेंट क्यों कहा जा रहा है इस वैरिएंट्स को

देश की ख्यात वैक्सीन साइंटिस्ट और वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में माइक्रोबायोलॉजी प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कंग कहती हैं कि इसे समझना इतना भी मुश्किल नहीं है। यदि वायरस एक शरीर से दूसरे शरीर में जाता है, तो इसमें परिवर्तन होते हैं। यह स्पेलिंग मिस्टेक्स की तरह है। VIRUS को VIURS लिखने जैसा। इन्हें ही वैज्ञानिक उस वायरस का वैरिएंट्स कहते हैं।

कोरोनावायरस यानी SARS-CoV-2 के नए वैरिएंट को उसमें हुए दो म्यूटेशंस ( E484Q और L452R) की वजह से डबल म्यूटेंट वैरिएंट कहा जा रहा है।वैज्ञानिकों ने इसका नाम B.1.617 रखा है। इस डबल म्यूटेंट वैरिएंट में वायरस में दो जगह बदलाव हुए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि यह दोनों ही बदलाव नए नहीं हैं। बल्कि अलग-अलग वैरिएंट्स में हम अलग-अलग देशों में इनका अलग-अलग असर देख रहे हैं। दोनों ही बदलाव वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुए हैं।

डबल म्यूटेंट वायरस खतरनाक क्यों है?

वैज्ञानिकों की मानें तो डबल म्यूटेंट वैरिएंट में हुआ E484Q म्यूटेशन E484K म्यूटेशन जैसा है। यह यूके (लाइनेज B.1.1.7) और दक्षिण अफ्रीकी (B.1.351) में मिले वैरिएंट्स में भी देखा गया था। इसी तरह L452R म्यूटेशन कैलिफोर्निया में तेजी से फैले वैरिएंट्स (B.1.427 और B.1.429) में दिखा था।

ये दोनों परिवर्तन वायरस की मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने की ताकत को बढ़ाते हैं। इससे इसकी संचरण क्षमता बढ़ती है। यह वायरस की संख्या को तेजी से बढ़ाने में भी सहायक है। सीधे शब्दों में यह दोनों ही बदलाव वायरस के ऐसे हिस्से में हुए हैं, जो ट्रांसमिशन और एंटीबॉडी से बचने की इसकी ताकत बढ़ाते हैं

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