
Uniform Civil Code: देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लेकर बहस चल रही है। सभी पार्टी अपना अपना पक्ष रख रही है। कुछ पार्टी इस के पक्ष में है तो कोई विपक्ष में है। सभी नेता अपनी राय दे रहे है। सरकार संसद के इसी मानसून सत्र में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल ला सकती है।
देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर छिड़ी बहस के बीच 3 जुलाई को कानून व व्यवस्था मामलों की संसदीय समिति की बैठक हुई। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने इस मीटिंग की अध्यक्षता की।
सुशील मोदी ने बैठक में आदिवासियों को किसी भी संभावित समान नागरिक संहिता के दायरे से बाहर रखने की बात की है। कांग्रेस और डीएमके समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने आम चुनाव के मद्देनजर यूसीसी को लेकर सरकार की टाइमिंग पर सवाल उठाए।
इन सबके बावजूद यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को लेकर विपक्षी दलों में एकराय नहीं है। कोई बिल का समर्थन करता नजर आ रहा है तो कोई इसका विरोध कर रहा है। ऐसे में राज्यसभा में भी यह बिल पास होने के आसार हैं, जहां कि सत्ताधारी दल भाजपा के पास बहुमत का आंकड़ा पूरा नहीं है।
कांग्रेस यूसीसी के विरोध में खड़ी है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि बीजेपी अपनी विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए 'एजेंडा पर चलने वाली बहुसंख्यकवादी सरकार' की रणनीति का हिस्सा है। यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कांग्रेस 'वेट एंड वॉच' की रणनीति अपना रही है।
AAP के बाद BSP Chief मायावती का Uniform Civil Code को समर्थन दिया गया है।
AAP पार्टी नेता संदीप पाठक के मुताबिक, 'एएपी सैद्धांतिक रूप से यूसीसी का समर्थन करती है। आर्टिकल 44 भी UCC का समर्थन करता है। हमें लगता है कि UCC तभी ही लागू किया जाना चाहिए, जब इस पर सर्वसम्मति हो।
शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने यूसीसी पर उनसे मिलने पहुंचे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोगों से कहा है कि शिवसेना पार्टी इसका समर्थन करती है। लेकिन, इसका विभिन्न समुदायों पर क्या असर पड़ेगा, इसके लिए बीजेपी केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण चाहती है।
एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा है, 'एनसीपी ने यूसीसी का न तो समर्थन किया है और न ही विरोध। एनसीपी सिर्फ यह कह रहे हैं कि इतने बड़े फैसले जल्दबाजी में नहीं होने चाहिए।'
समान नागरिक संहिता को समझने के लिए जनजातीय समुदायों के रीति-रिवाजों को समझना बहुत जरूरी है। आदिवासी जनजाती अपने रीति-रिवाजों में फेरबदल नहीं चाह रहे हैं।
आदिवासियों के यहां तीन तरह से शादियां होती हैं। शादी से पहले लड़के का परिवार, लड़की के परिवार से तीन बार मिलता है, जिससे शादी की डील फाइनल हो सके। आदिवासियों की इन शादियों में दहेज की कोई व्यवस्था नहीं है।
आदिवासियों में दूल्हे का परिवार पूरी तरह से शादी का खर्च उठाता है। शादी पूरे गांव की निगरानी में होती है।लड़की को लड़का पसंद आने पर बिना शादी किए लड़के के घर में वह रहने लगती है। बाद में सभी आदिवासी रीति-रिवाजों के साथ शादी को औपचारिक मान्यता दे दी जाती है। और भी ऐसे बहुत से कारण है जिनके कारण आदिवासियों को UCC से बाहर रखने की बात चल रही है।
उत्तराखंड को देखते हुए हरियाणा में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू हो सकता है। हरियाणा सरकार UCC पर विचार कर रही है। जिन प्रदेशों में UCC लागू किया गया है या फिर जिन प्रदेशों में लागू करने की योजना है हरियाणा सरकार उनसे भी सुझाव ले रही है।
वर्ष 1961 में गोवा सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड के साथ ही बनी थी। अब गुजरात और मध्यप्रदेश में सरकार UCC लागू करने की पूरी तैयारी में है। इसके लिए कमेटी गठित की गई हैं। हालांकि, उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू भी किया जा चुका है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होने के लिए ‘एक देश एक नियम’ का आह्वान करता है। यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है शादी, तलाक और जमीन जायदाद के हिस्से में सभी धर्मों के लिए केवल एक ही कानून लागू होना चाहिये।
प्रधानमंत्री मोदी ने 27 जून को भोपाल में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड जल्द लागू करने की बात की थी। PM मोदी ने कहा- 'यूनिफॉर्म सिविल कोड पर लोगों को भड़काया जा रहा है। एक घर दो कानूनों से नहीं चल सकता,BJP यह भ्रम दूर करेगी।
समान नागरिक संहिता को लेकर अब तक 19 लाख लोग संसदीय समिति को इस संबंध में अपने सुझाव भेज चुके हैं। कुछ सदस्यों ने सरकार पर इस कानून को जल्द लाए जाने का आरोप लगाया है। कुछ सदस्यों का कहना था कि सिर्फ एक फैमिली लॉ नहीं बनाया जाना चाहिए। समान नागरिक संहिता समाज के हर धर्म, जाति, समुदाय से जुड़ा हुआ मामला है।
नागरिक संहिता कानून (UCC) को लेकर मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने कहा कि जो भी काम देश के हित में हो, अच्छा हो, शांति से हो, देश को आगे बढ़ाए ऐसा काम जरूर होना चाहिए।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पर कमेटी ने यूसीसी के लिए अपना मसौदा तैयार कर लिया है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने से पहले उत्तराखंड राज्य के सभी वर्गों, धर्मों, राजनीतिक दलों से बातचीत करने का दावा किया है। उत्तराखंड कमेटी को समान नागरिक संहिता पर 20 लाख से ज्यादा सुझाव मिले हैं।
उत्तराखंड कमेटी की मानें तो समान नागरिक संहिता पर अंतिम रिपोर्ट बनाने के लिए कम से कम 143 बैठकों का आयोजन किया गया था। अंतिम बैठक 24 जून 2023 को दिल्ली में हुई थी, जिसमें उत्तराखंड राज्य के विभिन्न हिस्सों के लोगों से बातचीत कर उनकी राय ली गई थी
यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से सभी समुदाय के लोगों को एक समान अधिकार मिलेंगे। समान नागरिक संहिता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थितिअच्छी होगी। कुछ समुदाय के पर्सनल लॉ में देश की महिलाओं के अधिकार सीमित हैं।
ऐसे में UCC लागू होता है तो देश की महिलाओं को भी समान अधिकार लेने का लाभ मिलेगा। UCC आने से देश की महिलाओं का अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार और गोद लेने से संबंधी सभी मामलों में एक सामान नियम लागू होंगे।