kanpur encounter analysis : विकास ने सरेंडर करवाया तो भागने की कोशिश क्यों

कानपुर में मारा गया गैंगस्टर विकास दुबे, यूपी STF के द्वारा बताया गया, एनकाउंटर में किया विकास दुबे को ढेर,आखिर क्या सवाल खड़े कर रहा है यह पूरा एनकाउंटर जानें
kanpur encounter analysis : विकास ने सरेंडर करवाया तो भागने की कोशिश क्यों

डेस्क न्यूज़- उत्तर प्रदेश के मोस्ट वॉन्टेड अपराधी विकास दुबे को मार गिराया गया है, vikas दुबे की पूरी कहानी आप जानते है क्यों की बाकी मीडिया चैनल आपको कई बार बता चूका है लेकिन हम फिर से आपको इसकी कहानी याद दिलाएंगे क्यों की तबसे लेकर अब तक की कहानी में कुछ अहम सवाल खड़े होते है जो की बाकी मीडिया शायद आपको वो ना बताये ?

क्या क्यों और कैसे हुआ अंत ?

2 जुलाई कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस उसे पकड़ने के लिए जाती है और चिल्ला कर कहती है की विकास दुबे हमने तुम्हे चारो तरफ से घेर लिया है उसके बदले में विकास दुबे और उसकी टीम ने पुलिस पर हल्ला बोल देती है जिसमे कानपूर पुलिस के 8  जवान मारे जाते है और उसके बाद विकास दुबे वंहा से फरार हो जाता है और छह दिन तक पुलिस उसे नहीं पकड़ पाती।

वह पुलिस से आगे था… पुलिस उसके पीछे थी  विकास दुबे पर 50 हजार से बढ़ाकर 5 लाख का इनाम रखा जाता है ताकि उसकी जानकारी मिल सके लेकिन  कोई सुराक नहीं मिलता है साथ ही पुलिस लगातार उसके साथियो को पकड़ रही थी और कुछ साथी मारे भी जाते है इसी को देखकर हो सकता है विकास दुबै को ये अहसास हो गया होगा की उसे भी जल्द ही पुलिस एनकाउंटर में मार सकती है  उसके बाद नजर आया फरीदाबाद में लेकिन पुलिस उसे पकड़ने में नाक़ामयाब रहती है

जब भागना  तो उसने सरेंडर क्यों किया

जब भागना  तो उसने सरेंडर क्यों किया ? खुद विकास दुबे ने मंदिर परिसर में दर्शन के बाद विकास वहां मौजूद जवानों के पास गया और बोला कि मैं कानपुर वाला विकास दुबे हूं, मुझे पकड़ लो

एक हफ्ते में विकास दुबे के पांच गुर्गों का एनकाउंटर हो चुका था। विकास दुबे का भी तय था, लेकिन वह खुद सरेंडर करने उज्जैन आ गया। शुक्रवार सुबह कानपुर से महज 17 किमी दूर उसका एनकाउंटर कर दिया गया, जैसे विकास दुबे की गिरफ्तारी से सवाल उठे थे, इसी तरह इस एनकाउंटर से भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

दिनभर चार्टर्ड प्लेन की खबरें थीं, फिर सड़क के रास्ते क्यों ले जाया गया ?

विकास को चार्टर्ड प्लेन के जरिए उज्जैन से इंदौर और फिर वहां से यूपी ले जाया जाएगा, लेकिन गुरुवार शाम को अचानक कहा गया कि उसे सड़क के रास्ते ले जाया जाएगा और इसके लिए यूपी एसटीएफ की टीम आ रही है, लेकिन एसटीएफ की टीम आई ही नहीं। शाम को उज्जैन से एमपी पुलिस की टीम विकास को झांसी तक ले गई।

मीडिया को जानबूझकर क्यूँ रोक दिया गया?

काफिले के साथ चल रही मीडिया की गाड़ियों को रोकने के लिए बीच में अचानक चेक पोस्ट लगा दी गई थी, इस वजह से मीडिया की गाड़ियां पीछे छूट गईं। बाद में खबर आई कि विकास दुबे जिस गाड़ी में था, वह पलट गई और उसका एनकाउंटर हो गया। एनकाउंटर के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस के आला अफसरों ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या मीडिया को रोकने के लिए ही अचानक चेकिंग शुरू की गई थी?

क्या हथकड़ी पहनाकर नहीं बैठाया गया था?

जिस अपराधी पर 60 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हों, जो 8 पुलिसवालों की हत्या का आरोपी हो, उसे गाड़ी में क्या हथकड़ी पहनाकर नहीं बैठाया गया था? उज्जैन के महाकाल मंदिर के निहत्थे गार्ड ने विकास को रोका था, कहा गया था कि गार्ड के साथ हाथापाई भी हुई, लेकिन विकास भाग नहीं सका, उसे पकड़ने वाली उज्जैन पुलिस के पास लाठी तक नहीं थी वहीं, कानपुर के पास जब पुलिस की गाड़ी पलट गई तो विकास ने कैसे हथियारबंद पुलिस से पिस्टल छीन ली और फायरिंग करने लगा?

मौके पर पहुंचे पुलिस के अफसर कहते रहे कि हम सब बताएंगे, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में, हम तो चाहते थे कि विकास सरेंडर कर दे, लेकिन जब वह नहीं माना और पुलिस पर गोलियां चलाने लगा, तो जवाबी फायरिंग में मारा गया।

Like and Follow us on :

Related Stories

No stories found.
logo
Since independence
hindi.sinceindependence.com