विक्रम साराभाई जयंती: चांद के क्रेटर को दिया गया है देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहे जाने वाले साराभाई नाम

विक्रम साराभाई जयंती: चांद के क्रेटर को दिया गया है देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहे जाने वाले साराभाई नाम

आज देश भारत के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की 102वीं जयंती मना रहा है। साराभाई को देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। इसरो की स्थापना उन्हीं के प्रयासों से हुई थी और वे इसके पहले अध्यक्ष भी थे। साराभाई, जो एक भौतिक विज्ञानी और खगोलशास्त्री थे, ने भी देश में परमाणु ऊर्जा के विकास में योगदान दिया था। उन्हीं की प्रेरणा से आज देश का अंतरिक्ष कार्यक्रम इतनी आगे बढ़ गया है।
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आज देश भारत के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की 102वीं जयंती मना रहा है। साराभाई को देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम का जनक कहा जाता है। इसरो की स्थापना उन्हीं के प्रयासों से हुई थी और वे इसके पहले अध्यक्ष भी थे। साराभाई, जो एक भौतिक विज्ञानी और खगोलशास्त्री थे, ने भी देश में परमाणु ऊर्जा के विकास में योगदान दिया था। उन्हीं की प्रेरणा से आज देश का अंतरिक्ष कार्यक्रम इतनी आगे बढ़ गया है।

देश के खुद के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रेरणा

विक्रम साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में

प्रसिद्ध उद्योगपति साराभाई के परिवार में हुआ था। साराभाई ने

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कॉस्मिक किरणों में डॉक्टरेट की उपाधि

प्राप्त की। उन्होंने रूस के पहले अंतरिक्ष यान स्पुतनिक के प्रक्षेपण

के बाद भारत सरकार को अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करने के लिए राजी किया।

साराभाई के प्रयासों से बना इसरो

1962 में, साराभाई की सलाह पर, भारत सरकार ने अंतरिक्ष अनुसंधान

के लिए भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष समिति की स्थापना की।

उनके प्रयासों से बाद में INCOSPAR का पुनर्गठन किया गया और

15 अगस्त 1969 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी

ISRO के नाम से इसकी स्थापना की गई। वे इसके पहले अध्यक्ष भी चुने गए।

पहला रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन

साराभाई ने होमी जहांगीर भाभा की मदद से भारत का पहला रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन विकसित किया। भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट के अलावा भारत में पहली बार केबल टीवी का आगमन हुआ। 1975 में उनके नासा संपर्कों के कारण ही देश में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलीविज़न एक्सपेरिमेंट की स्थापना हुई थी। वह 1966 से 1971 तक भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष रहे और भारत के परमाणु ऊर्जा केंद्रों की स्थापना में महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा के काम को आगे बढ़ाया।

चंद्रमा के क्रेटर को डॉ साराभाई का नाम

डॉ साराभाई का नाम चंद्रमा के एक क्रेटर को दिया गया है। 1974 में, सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में स्थित इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने चंद्रमा के क्रेटर को साराभाई क्रेटर नाम देकर सम्मानित किया। यह 8 किमी व्यास का गोलाकार गड्ढा है जो चंद्रमा के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में ट्रैंक्विलिटी सागर में बेसेल क्रेटर के पास स्थित है। पहले इसका नाम बेसल-ए क्रेटर था।

देश के प्रमुख संस्थानों की स्थापना

विक्रम साराभाई ने अहमदाबाद के भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद में ही भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) और कोलकाता में परिवर्तनीय ऊर्जा साइक्लोट्रॉन परियोजना जैसे देश में कई संस्थानों की स्थापना में एक प्रमुख भूमिका निभाई। इसके अलावा ऑपरेशन्स रिसर्च ग्रुप, अहमदाबाद में नेहरू फाउंडेशन फॉर डेवलमेंट, अहमदाबाद का कम्यूनिटी साइंस सेंटर अहमदाबाद, कलप्कम का फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर, हैदराबाद में इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और जादुगुड़ा झारखंड में यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑप इंडिया लिमिटेड की स्थापना में उनका योगदान रहा.

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