वेब सीरीज – गांवों की दास्तां बयां करती ‘पंचायत’

आप बैठे बैठे घर पर आप बोर हो रहे होंगे तो आपके लिए अमेज़न प्राइम लेकर आया है एंटरटेनमेंट बहुत ही जोरदार
वेब सीरीज – गांवों की दास्तां बयां करती ‘पंचायत’

न्यूज़ –  जब हम ग्रामीण भारत की बात करते हैं तो आप क्या सोचते हो  वही टूटी फूटी सड़कें, कच्चे मकान, कच्चे रास्ते, दूर तक पैदल चलना, लोगों के बारे में सोचना कि अनपढ़ लोग, जब हम गांव की कल्पना करते हैं तो मन में सबसे पहले यही बातें आती है और इसीलिए गांव से शहरों की ओर पलायन हुआ लेकिन अगर सही मायने में देखा जाए तो गांव गांव ही होता है अगर हम पॉजिटिव वे में देखें शहरों की तुलना में गांव में चारों तरफ शांति का माहौल एक दूसरे से प्रेम भाईचारा वह सम्मान हर किसी को जो भी मेहमान आए उसे सम्मान मिलना,

यह सब शहरों में कहां देखने को मिलता है जब बात नौकरी की हो अगर गांव से कोई शहर में नौकरी करें तो वह ठीक है लेकिन अगर शहर का कोई व्यक्ति गांव में आकर नौकरी करें तो से कैसा लगेगा क्या सोचता है वह काम से क्या चाहता है क्या बदलाव चाहता है गांव में क्या करना चाहता है इसी पर आधारित अमेज़न प्राइम वीडियो पर द वायरल फ़ीवर (TVF) की नई वेब सीरीज़ 'पंचायत' रिलीज़ हो गई है।

अब देश में लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ गया है  तो आप बैठे बैठे घर पर आप बोर हो रहे होंगे तो आपके लिए अमेज़न प्राइम लेकर आया है एंटरटेनमेंट बहुत ही जोरदार  जो आपको गांव की सच्चाई बताएगा गांव से रूबरू कराएगा असली गांव से रूबरू कराएगा साथ ही साथ आपको गांव की सच्चाई भी बयां कर आएगा

 'हॉस्टल डेज़' के बाद 'पंचायत' को भी टीवीएफ की टीम ने ही बनाया है। 'पंचायत' को तीन अप्रैल यानी शुक्रवार को स्ट्रीम किया गया। इस सीरीज़ में सबसे मजबूत इसकी स्टार कास्ट है। रघुवीर यादव और नीना गुप्ता के साथ टीवीएफ के जाने-पहचाने चेहरे जीतू उर्फ जितेंद्र कुमार इस सीरीज़ में मौजूद हैं। हल्के-फुल्के अंदाज़ में यह सीरीज़ ग्रामीण परिवेष के गंभीर विषयों को छूती है। सीरीज़ में टीवीएफ की छाप साफ़ नज़र आती है। गाली- गौलज़ और अति उत्तेजित दृश्य के बिना भी यह आपका बेहतरीन मनोरंजन करती है। आइए जानते हैं कि टीवीएफ की यह सीरीज़ हमें कैसी लगी-

सीरीज़ की कहानी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के फुलेरा ग्राम पंचायत पर सेट की गई है। इंजीनियरिंग करने के बाद अभिषेक त्रिपाठी बतौर पंचायत सचिव फुलेरा आते हैं। शहर में पले-बढ़े अभिषेक के लिए ना नौकरी मन की है और ना ही उस ग्रामीण परिवेश। वह आने के बाद नौकरी के साथ ही कैट की तैयारी करने लग जाता है। यहां अभिषेक का पाला  प्रधान पति ब्रृजभूषण दूबे, ग्राम प्रधान मंजू देवी और सहायक विकास से पड़ता है। उसके सामने कई चुनौतियां हैं, जैसे- बिना लाइट के पढ़ना, गांव वालों से डील करना और कैट की परीक्षा पास करना। क्या वह गांव से जुड़ पाता है और कैट की परीक्षा पास करता है, यह जानने के लिए आपको सीरीज़ देखनी होगी।

टीवीएफ की वेब सीरीज़ की सबसे ख़ास बात है इसके एक्टर। छोटे-से-छोटा किरदार भी अपनी छाप छोड़ जाता है। प्रधान पति के किरदार में रधुवीर यादव बिलकुल परफ्केट लगते हैं। उन्हें बार-बार देखने का दिल करता है। विकास का किरदार निभाने वाले चंदन काफी सही लगते हैं। एक ऐसा भी किरदार है, जो कम सीन्स के बाद भी याद रहता है। 'गैंग्स ऑफ़ वासेपुर' में थाना प्रभारी धनसर का किरदार निभाने वाले फैसल मलिक इस सीरीज़ में उप प्रधान प्रह्लाद के रूप अपनी छाप छोड़ जाते हैं। नीना गुप्ता के हिस्से ज्यादा सीन्स  नहीं आए हैं, लेकिन  वह भी फ्लॉलेस लगती हैं। जीतू को जो किरदार दिया गया है, वह उसे बड़े आसानी से निभाते हैं।

आठ एपिसोड्स की इस सीरीज़ में आठ कहानियां हैं। सभी कहानियों का अपना महत्व है। अलग-अलग कहानियां होने के बावजूद भी यह एक दूसरे से इंटरकनेक्ट हैं। गांव की सभी समस्याओं पर बड़ी बारीकी से ध्यान दिया गया है। बिजली, दहेज़, आत्मसम्मान के नाम पर लड़ाई, महिलाओं का हक और गरीबी,  इस सीरीज़ में सब कुछ दिखाने की कोशिश की गई है। एक सीन है, जिसमें प्रधान पति अपनी बेटी से दो अुंगली में से एक का चुनाव करवाके शादी की बात को तय करने की कोशिश करता है। ऐसे छोटे-छोटे सीन्स से माहौल को सेट करने का प्रयास किया गया है। सीरीज़ का निर्देशन भी काफी शानदार है। 'परमानेंट रूममेट' जैसी सीरीज़ बनाने वाले दीपक कुमार मिश्रा ने ख़ुद को एक बार फिर साबित किया है।

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