आखिर क्यों आया पत्रकार निशांक चतुर्वेदी को कॉफ़ी शॉप पर गुस्सा ? जानें

जाने माने पत्रकार निशांक ने फेसबुक पर वीडियो डालकर एक कॉफ़ी हाउस को लेकर जाहिर की नाराजगी ,दिया बड़ा सन्देश भी
आखिर क्यों आया पत्रकार निशांक चतुर्वेदी को कॉफ़ी शॉप पर गुस्सा ? जानें

यूं तो निशांक चतुर्वेदी जल्दी किसी बात पर निजी राय रखने से बचते हैं लेकिन कल उनको एक ऐसा वाकया पता चला जिस पर वो अपनी प्रतिक्रिया देने से खुद को रोक नहीं सके। कॉफ़ी शॉप पर तो गुस्सा निकला ही सोशल मीडिया पर वीडियो डाल कर साथ ही उस कंपनी को मेल भी कर दिया। लगे हाथ ऐसा रवय्या अपनाने वाली संस्थाओ को अड़े हाथो लिया। इसी बहाने एम्प्लॉय मैनेजमेंट को लेकर अहम सुझाव दिया

क्या कहा निशांक ने

जाने माने टीवी जर्नलिस्ट के अनुसार वो एक कॉफ़ी शॉप पर अक्सर कॉफ़ी पीने जाया करते थे। कुछ दिनों से उन्होंने देखा की एक वर्कर जिसके हाथ की बनी कॉफ़ी ही वो पीना पसंद करते थे वो व्यक्ति शॉप पर नहीं आ रहा है।

उनके साथ ही बहुत से ऐसे ग्राहक थे जो सिर्फ उसी वर्कर के हाथ की पानी कॉफ़ी पीने के लिए रोजाना वह जाया करते थे। कुछ दिनों बाद जब वह वर्कर उन्हें मिला तो उन्होंने उससे कारण पूछा।

वर्कर ने बताया वो इस्तीफा देकर जयपुर में किसी नई शॉप पर काम करने जा रहा है। इस बात पर हैरानी जाहिर कर जब उन्होने जब वजह पूछी। वर्कर ने बताया की वो यह काफी सालो से काम कर रहा था लेकिन न उसकी सैलरी बढ़ी न उसका प्रमोशन जिस वजह से वो नौकरी छोड़ कर जा रहा है। उन्होंने तुरंत कॉफ़ी शॉप को मेल लिख कर इस सम्बन्ध में जानकारी मांगी। जिससे उन्हें पता चला की इतने सालों तक सेवा देने के बाद भी उस कर्मचारी की सैलरी नहीं बढ़ाई गयी और जब वो इस्तीफा देने लगा तो उसे स्टोर मैनेजर बनाने का ऑफर दिया गया था।

कम्पनियों को अपने कर्मचारिओं के जरूरतों का ध्यान देना चाहिए…

निशांक ने आगे कहा ऐसी कम्पनीओ को अपने कर्मचारियों के जरूरतों का ध्यान देना चाहिए और सही वक्त पर उनके काम का सही फल देना चाहिए क्योंकि आप बेशक नए लोगों को काम पर रख सकते हैं उन्हें ट्रेंड क्र सकते हैं। मगर  ग्राहक कंपनी से अक्सर ऐसे  कर्मचारियों की वजह से जुड़ते हैं। उन्होंने ऐसी एक चाइनीस फ़ूड शॉप का हवाला दिया जिसके मैनेजर ने ऐसी वजहों से इस्तीफा दिया तह साथ ही उसके जाने के बाद पूरा स्टाफ नौकरी छोड़ चुका था। अंत में वो शॉप बंद हो गई थी।

इस पूरी घटना से सभी को ये सीखना चाहिए की जिन कर्मचारियों के कंधों पर सारी जिम्मेदारी होती है उन्हें मेहनत  का ईनाम उन्हें मिलाना चाहिए वो भी सही समय पर।

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