राजस्थान क्रेडिट सोसायटी घोटालो को लेकर गहलोत सरकार चुप क्यों है?

आदर्श ,नवजीवन और संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसोयटियां के घोटाले सामने आये है..
राजस्थान क्रेडिट सोसायटी घोटालो को लेकर गहलोत सरकार चुप क्यों है?

 न्यूज – राजस्थान में क्रेडिट सोसायटी घोटाले पिछले कुछ समय से लगातार  समाने आ रहे है। एक अनुमान के मुताबिक आदर्श ,नवजीवन और संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसोयटियां की तरह प्रदेश में करीब 1200 ठग सोसायटियां सक्रिय है।

इतने बडे पैमाने पर फर्जीवाडे का खुलासा होने के बावजुद बाद भी सैकड़ो सोसायटीयां लोगों को झांसा देकर धन ऐंठनें में जूटें है। एसजीओ के सहकारी विभाग के पास लागतार शिकायतें आ रही है, लेकिन सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है।

फ्रॉड सोसायटियों के खिलाफ फरवरी में ही केंद ने कठोर कानून बनाया था। केंद ने कानून तो बना दिया, लेकिन उस कानून का पालन करने के लिए राजस्थान की गहलोत सरकार ने प्रयास तक भी नहीं किये।

कानून में फ्रॉड करने वाले को सजा देने और पैसा जमा कराने वालों की पैसा लौटाने का भी प्रावधान है। कानून के मुताबिक जालसाज जंहा का लाइसेंस लेते है वे वही पर कारोबार शुरू कर सकते है। लेकिन जालसाज पहले जिला स्तर पर क्रेडिट सोसायटी का लाइसेंस लेते है। लेकिन वे कारोबार करने दुसरे राज्यों तक पहुंच जाते है।

एक से अधिक राज्यों से एनओसी लेकर सोसायटी केंद्रीय रजिस्टार से मल्टीस्टेट का दर्जा हासिल कर लेती है। दर्जा मिलते ही राज्य सहकारी विभाग का नियंत्रण खत्म उस सोसयटी से खत्म हो जाता है। राजस्थान में 100 मल्टीस्टेट सोसायटिंया है। सहकारी विभाग ने इनकी केंद्रीय रजिस्टार से जानकारी मांगी है लेकिन ये अभी तक नहीं मिली है।

राजस्थान की गहलोत सरकार निवेशकों की पूंजी की रक्षा के लिए कानून बनाने की तैयारी कर रही थी। लेकिन ड्राफ्ट बनाने के दौरान पता चला कि केंद्र तो फरवरी में ही इस पर अध्यादेश ला चुका है। जो संसद में भी पास हो गया है।

इसके बाद गृह विभाग ने पालना के लिए फाइल विधि विभाग ने प्रदेश की स्थिति के अनुसार उपधार बनाने के लिए फाइल सहकारिता विभाग को भेजी। विधि विभाग ने प्रदेश की स्थिति के अनुसार उपधार बनाने के लिए फाइल सहकारिता विभाग को भेड दी अब तीनों अनजान बने हुए हैं।

द बेनिंन ऑफ अनरेगुलेटेड डिपोजिट स्कीम एक्ट 21 फरवरी से प्रभावी है, इसमें सचिव स्तर के अधिकारों को कोर्ट के समान अधिकार दिए गए है। राज्य के कार्रवाई के लिए सरकार सचिव स्तर का प्राधिकृत अधिकारी नियुक्त करेगा। मामलों की सुनवाई के लिए जिला जज स्तर की विशेष कोर्ट खुलेगी। अनाधिकत रूप से लोगों की जमा एकत्र करने वाली संस्था के बैंक खाते व प्रॉपर्टी सीज होगी।

 इस एक्ट में सजा के भी कठोर प्रावधान किए गए है। एक्ट की विभिन्न धाराओं में एक से दस साल तक की सजा का प्रावधान हैं। यहीं नही इसके अलावा जमाओं की दो गुना रकम तक के जूर्माने का भी प्रावधान है। रिपेंमेंट में डिफाल्टर होने पर सात साल की कैद तथा 25 करोड़ रूपए के जुर्माने या जमा से कमाए गए लाभ का तीन गुना राशि (दोनों में से जो अधिक हो) का प्रावधान है।

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