न्यूज – कच्चे तेल की क़ीमत में आई गिरावट से राहत की उम्मीद पर सरकार ने फिर पानी फेर दिया है. सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज़ ड्यूटी बढ़ा दी है.
ये ऐसे वक़्त पर हुआ है जब लोग उम्मीद कर रहे थे कि दुनिया भर में कच्चे तेल के दाम गिर रहे हैं और अब मौक़ा है कि सरकार तेल और गैस के दाम कम करके आम नागरिकों को कुछ राहत दे.
इस राहत की ज़रूरत जितनी इस वक़्त है उतनी शायद पहले कभी नहीं थी. कोरोना वायरस के डर से दुनिया भर में कारोबार ख़तरे में दिख रहा है. हवाई सफ़र, पर्यटन, होटल, रेस्त्रां और बार जैसे कारोबार ही नहीं तमाम बड़ी बड़ी कॉन्फ़्रेंस रद्द हो रही हैं.
टोक्यो ओलंपिक तक पर सवाल उठ रहे हैं और कोरोना से मुक़ाबले के लिए जो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन होना था वो भी रद्द कर दिया गया है।
भारत मे आर्थिक तरक्की की रफ़्तार पहले ही काफ़ी गिर चुकी है. ये महामारी आने से पहले ही आशंका जताई जा चुकी थी कि देश की जीडीपी ग्रोथ रेट पाँच फ़ीसदी से भी नीचे रहनेवाली है.
अब तो ग्रोथ रेट में कमी कितनी होगी या अब नया अनुमान क्या होगा ये कहना भी तब तक संभव नहीं है जब तक ये साफ़ न हो जाए कि कोरोना वायरस का असर कब तक रहेगा, या कब ये महामारी काबू में आएगी।
एक बार वो हो जाए तब ये हिसाब लगाया जाएगा कि इसका कितना असर भारत की अर्थव्यवस्था पर, हमारे देश के कारोबार पर या हमारी आपकी जेब पर पड़ेगा।
इस आशंका के बीच ख़ासकर भारत के लिए ये राहत की ख़बर आई थी कि कच्चे तेल के दाम तेजी से गिर रहे हैं. इसी साल यानी 2020 में ही दाम क़रीब 45 फ़ीसदी गिर चुके थे क्योंकि दाम में तेज़ गिरावट जनवरी के बाद ही शुरू हुई है.