डेस्क न्यूज – World Aids Day हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता है, विश्व एड्स दिवस का उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली बीमारी एड्स के बारे में जागरुकता बढ़ाना है, एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है।
UNICEF की रिपोर्ट के मुताबिक 37.9 मिलियन लोग HIV के शिकार हो चुके हैं, दुनिया में रोज़ाना हर दिन 980 बच्चों एचआईवी वायरस के संक्रमित होते हैं, जिनमें से 320 की मौत हो जाती है।
साल 1986 में भारत में पहला एड्स का मामला सामने आया था, भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी (HIV) के रोगियों की संख्या लगभग 2.1 मिलियन है।
विश्व एड्स दिवस हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा चलाए जाने वाले 11 ‘वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य’ जागरूकता अभियानों में से एक है।
वायरस क्या है
दरअसल, वायरस धरती पर मौजूद सबसे पुराने जीवों में से एक हैं। साइंटिफिक अमेरिकन मैगजीन के मुताबिक, करीब 6 लाख ऐसे वायरस हैं, जो जानवरों से इंसानों में जा कर सकते हैं।
HIV, कोरोना के अलावा स्मॉलपॉक्स या चेचक, सार्स, इबोला, स्वाइन फ्लू, रैबीज भी ऐसे ही जानलेवा वायरस हैं।
चेचक ने तो 18वीं और 19वीं सदी में 50 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी, मगर हमने वैक्सीन बनाकर दुनिया से इसे खत्म कर दिया।
वर्ल्ड एड्स डे पर हम आपको बता रहे हैं इंसानों पर हमला करने वाले 10 सबसे खतरनाक वायरस और उसपर इंसानी जीत की कहानी।
1.HIV
फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी
पिछले एक दशक में HIV फैलने की रफ्तार थमी है, मगर भारत में अभी चुनौती बाकी है।
भारत में करीब 22 लाख एड्स पीड़ित हैं। यूएन एड्स की रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2018 में 88 हजार नए मरीज मिले, वहीं एड्स से 69 हजार लोगों की मौत हुई।
दुनिया के कुल एड्स मरीजों के 10% भारत में है। इंडेक्समंडी पोर्टल के हिसाब से दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया के बाद भारत में एड्स के सबसे ज्यादा मरीज हैं।
ऐसी समस्याओं के बावजूद संयुक्त राष्ट्र की ओर से 2015 में तय 12 सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) में से तीसरे लक्ष्य (बेहतर स्वास्थ्य और कल्याण) के तहत 2030 तक HIV को खत्म करना है।
प्रोजेक्ट के तहत 2030 तक नए HIV एड्स से होने वाली मौतों को 90-90% तक कम करना है। इसे प्रोजेक्ट-90 भी कहा जाता है।
2 . चेचक
इंसान चेचक के भयानक प्रकोप के कई दौर देख चुका है।
वैरियोला वायरस से फैले इस महामारी की शुरुआत 1520 में मानी जाती है, मगर मिस्र में मिली ममी में भी इसके सबूत मिले हैं।
किसी भी वायरस की तुलना में चेचक दुनिया के सबसे अधिक लोगों की जान (30 से 50 करोड़ मौत) ले चुका है।
इससे जान जाने की दर 90% है।
अकेले 20वीं सदी में ही इस बीमारी से 20 करोड़ लोगों की मौत हुई।
हालांकि, वैक्सीनेशन के जरिए इस वायरस को अब दुनिया से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है।
1796 में ब्रिटेन के डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने इसकी पहली वैक्सीन ईजाद की थी।
मानवता के इतिहास में केवल चेचक ऐसी बीमारी है, जिस पर किसी दवा या वैक्सीन के जरिए पूरी तरह काबू पाया जा सका।
1979 में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को चेचक मुक्त घोषित कर दिया था।
3. इन्फ्लुएंजा
आम खांसी-जुकाम को भी फ्लू कहते हैं और स्पेनिश फ्लू को भी।
इन्फ्लूएंजा के 4 कैटेगरी के वायरस कई तरह के संक्रमण के लिए जिम्मेदार है।
स्पेनिश फ्लू इंसान के हालिया इतिहास की सबसे भयंकर महामारियों में से एक है।
माना जाता है कि इससे 5 करोड़ लोगों मौत हुई थी।
मौजूदा कोरोना की तरह स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए भी लोगों को क्वारैंटाइन किया जाता था।
1968 में फैले हॉन्गकॉन्ग फ्लू से दस लाख लोगों की जान गई थी। आज भी वो वायरस सीजनल फ्लू के तौर पर हमारे बीच में है।
इसी तरह स्वाइन फ्लू भी H1N1 वायरस के ही एक और रूप से फैलती है।
माना जाता है कि 2009 में 70 करोड़ से 140 करोड़ लोग असिम्प्टोमेटिक (बिना लक्षणों वाले) स्वाइन फ्लू से संक्रमित हुए,
जो उस समय की 6.8 अरब आबादी का करीब 11 से 21% था। मगर इंसानों ने इसे भी काबू कर लिया।
डब्लूएचओ ने 2010 में इस महामारी को भी समाप्त घोषित कर दिया।
4. हंता वायरस
चूहों से फैलने वाले हंता वायरस के बारे में 1993 में पहली बार पता चला था।
जब अमेरिका में एक कपल इस वायरस से संक्रमित होने के कारण मर गया था।
इसके बाद कुछ ही महीनों में इस बीमारी से 600 लोगों की मौत हो गई थी।
हंता वायरस से संक्रमित चूहे या गिलहरी किसी इंसान को काट लें तो इससे भी संक्रमण फैल सकता है।
इस वायरस के फैलने का एक प्रमुख कारण चूहों के मल-मूत्र की जगह के संपर्क में आना है।
कोरियाई युद्ध के दौरान हंता वायरस की वजह से 3000 सैनिक बीमार हुए थे, इनमें से 12 फीसदी मारे गए थे।
5. रैबीज
रैबीज एक वायरल बीमारी है,
इसके कारण गर्म रक्त वाले जीवों के दिमाग में सूजन (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) होती है।
99% यह बीमारी कुत्तों के काटने या उनसे खरोंच लगने के कारण होती है।
भारत में हर साल 20 हजार लोगों की जान रैबीज से जाती है,
जिनमें 40% की उम्र 15 साल से कम होती है।
जबकि पूरी दुनिया में यह आंकड़ा 59 हजार है। 150 से ज्यादा देशों में फैली इस बीमारी की एंटी रैबीज वैक्सीन मुफ्त लगाई जाती हैं।
प्रसिद्ध फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने 6 जुलाई 1885 में रैबीज के टीके का सफल परीक्षण किया।
उनकी इस खोज ने मेडिकल की दुनिया में क्रांति ला दी और मानवता को एक बड़े संकट से बचा लिया था।
6. इबोला
इबोला सबसे पहले 1967 में सामने आया था।
44 सालों के बाद भी इस वायरस को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका है।
44 सालों में यह वायरस 16 देशों में फैल चुका है। सीरिया, लाइबेरिया और गिनी में इसके सबसे ज्यादा मामले सामने आए।
31 हजार मामलों में 28 हजार से ज्यादा मामले इन तीन देशों में आए, जो कुल मामलों का 92% है।
इसे डब्ल्यूएचओ ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया।
इस संक्रमण से अभी तक करीब 13 हजार लोगों की जान जा चुकी है।
2013 से 2016 के बीच ही सीरिया, लाइबेरिया और गिनी के 11,300 लोगों की जान ली इस संक्रमण से गई।
7. मर्स
वायरस सबसे पहले 2012 में सउदी अरेबिया में सामने आया और फिर 2015 में साउथ कोरिया। जिस वर्ग से सार्स कोरोना वायरस और मौजूदा कोविड-19 आते हैं, उसी वर्ग से मर्स का भी संबंध था।
सबसे पहले यह बीमारी ऊंटों को हुई और उससे इंसानों में फैली।
पिछले 8 साल में इसके मामले सामने आ रहे हैं।
आठ साल में यह वायरस 27 देशों में फैल चुका है।
अभी तक इस वायरस के 2494 मामले सामने आ चुके हैं।
इसके चलते अब तक 858 लोगों की जान जा चुकी है।
इस वायरस की मृत्यु दर 34% से ऊपर है।
8. रोटावायरस
विकासशील देशों में रोटावायरस छोटे बच्चों का अपना शिकार ज्यादा बनाता है।
2008 में रोटावायरस के संक्रमण से 5 साल से ज्यादा उम्र के करीब 4.5 लाख बच्चों की मौत हो गई थी, वहीं 2013 में रोटावायरस के संक्रमण के कारण लगभग 2,15,000 मौतें हुई थीं, जिसमें ज्यादातर बच्चे ही थे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर साल इस रोग से करीब 4 लाख बच्चों की मौत हो जाती हैं।
इससे संक्रमित बच्चों में डायरिया की गंभीर शिकायत पाई जाती है।
पहला वैक्सीन 2006 में मैक्सिको को मिला था।
बाजार में अब इसके दो वैक्सीन उपलब्ध हैं।
9. मारबर्ग
आज से 53 साल पहले 1967 में यह वायरस सर्बिया और युगोस्लाविया में सबसे पहले सामने आया। यह वायरस जर्मनी की एक लैब से लीक हो गया था, जो कि बंदरों से इंसानों में आया था। 1967 से लेकर 2014 तक इस वायरस के मामले सामने आते रहे। 13 देशों में इस वायरस का असर देखा गया, जिसमें से अधिकतर अफ्रीकी देश हैं। अब तक इस वायरस के सिर्फ 587 मामले सामने आए हैं। सबसे ज्यादा मामले अंगोला और डीआर कांगो में सामने आए हैं। दोनों देशों को मिलाकर 528 मामले होते हैं, जो कुल मामलों का लगभग 90% है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ 587 मामलों में 475 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया का सबसे जानलेवा वायरस है।
10. कोरोना
चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस दुनियाभर में एक खतरनाक महामारी का रूप ले चुका है। दुनिया में अब तक कोरोना के 6 करोड़ 30 लाख मामले सामने आ चुके हैं। 14 लाख 66 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। अच्छी बात ये कि अब तक 4 करोड़ 36 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। भारत में अब तक अब तक 94.32 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं, 88.46 लाख लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 1.37 लाख मरीजों की मौत हो चुकी है। दुनिया में कोरोना की करीब 48 वैक्सीन विकसित की जा रही हैं। इनमें से करीब 9 वैक्सीन का ट्रायल तीसरे चरण में हैं। माना जा रहा है कि 2021 जून-जुलाई में इसकी भी वैक्सीन तैयार हो जाएगी।