अब 12 साल से कम उम्र के बच्चों को भी लगेगा टीका, फाइजर ने शुरू किया क्लीनिकल ट्रायल

कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी फाइजर ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों पर अपने टीके का ट्रायल शुरू कर दिया है। पहले चरण में कम संख्या में छोटे बच्चों को वैक्सीन की अलग-अलग खुराक दी जाएगी।
Photo | Amarujala
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डेस्क न्यूज़- कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी फाइजर ने 12 साल से कम उम्र के बच्चों पर अपने टीके का ट्रायल शुरू कर दिया है। पहले चरण में कम संख्या में छोटे बच्चों को वैक्सीन की अलग-अलग खुराक दी जाएगी। इसके लिए फाइजर ने दुनिया के चार देशों के 4,500 से ज्यादा बच्चों को चुना है। जिन देशों में फाइजर के टीके का बच्चों पर परीक्षण किया जाना है, उनमें अमेरिका, फिनलैंड, पोलैंड और स्पेन शामिल हैं। फाइजर ने कहा कि उसने परीक्षण के पहले चरण में टीके की एक छोटी खुराक का चयन करने के बाद 12 साल से कम उम्र के बच्चों के एक बड़े समूह में COVID-19 टीकाकरण का परीक्षण शुरू कर दिया है।

12 साल से अधिक उम्र के बच्चों को पहले से लग रहा टीका

फाइजर के COVID वैक्सीन को अमेरिका और यूरोपीय संघ में 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों में इस्तेमाल के लिए पहले ही मंजूरी दे दी गई है। हालांकि यह मंजूरी सिर्फ इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए दी गई है। फाइजर ने कोरोना की यह वैक्सीन अपनी जर्मन पार्टनर बायोएनटेक के साथ मिलकर बनाई है। इस कंपनी के टीके को सबसे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंजूरी दी थी।

इसी सप्ताह शुरु होगा ट्रायल

कंपनी ने कहा कि टीकाकरण परीक्षण के लिए 5 से 11 साल के बच्चों के चयन का काम इसी सप्ताह शुरू किया जाएगा। इन बच्चों को 10-10 माइक्रोग्राम की दो खुराक दी जाएगी। यह खुराक किशोरों और वयस्कों को दी जाने वाली टीके की एक तिहाई खुराक है। इसके कुछ हफ्ते बाद 6 महीने से ऊपर के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया जाएगा। उन्हें तीन माइक्रोग्राम वैक्सीन दी जाएगी।

इन कंपनीयों के पहले से चल रहे ट्रायल

फाइजर के अलावा मॉडर्न 12-17 साल के बच्चों पर भी वैक्सीन का ट्रायल कर रही है और जल्द ही नतीजे सामने आ सकते हैं। खास बात यह है कि एफडीए ने दोनों कंपनियों के अब तक के नतीजों पर भरोसा जताते हुए 11 साल तक के बच्चों पर वैक्सीन के परीक्षण की अनुमति दी है। पिछले महीने एस्ट्राजेनेका ने यूके में 6 से 17 साल के बच्चों पर एक अध्ययन शुरू किया था। वहीं जॉनसन एंड जॉनसन भी अध्ययन कर रहा है। वहीं, चीन की सिनोवैक ने भी अपनी वैक्सीन को तीन साल तक के बच्चों पर असरदार बताया है।

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