42 दिनों से चल रहा रूस-यूक्रेन वार थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। सभी बड़े देश दोनों राष्ट्रों को समझाने की कोशिश करने में लगे है। UN में भी दोनों देशों के बीच शांति कायम करने के लिए कई बैठकों का आयोजन हुआ, पर ये सभी बैठकें बेनतीजा रही। ऐसे में कई देश यूक्रेन को सपोर्ट करते दिख रहें है तो कई रूस को सपोर्ट करते दिखे। इसके चलते कई देशों ने रूस के उत्पादों और सेवाओं के आयात-निर्यात पर रोक लगा दी है। भारत नें मामले में खुद को तटस्थ रखा है।
रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका को भारत की तटस्था रास नहीं आ रही है।अमेरिका भी कई बार भारत को स्टैंड लेने की बात कह चुका है। कई बार इसे लेकर भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाने की कोशिश भी की, लेकिन भारत इस मुद्दे पर अब तक अपने रुख को कायम रखे है। अमेरिका बार बार रूस के साथ गठबंधन को लेकर भारत को चेतावनी दे रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के शीर्ष आर्थिक सलाहकार ब्रायन डीज ने बुधवार को एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा की यूक्रेन संकट पर भारत और चीन ने जिस तरह तटस्था दिखाई है उससे अमेरिका काफी निराश हुआ है। रूस के साथ ज्यादा रणनीतिक गठबंधन के परिणाम दीर्घकालिक होंगे।
ब्रायन डीज ने कहा - एक तरफ अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं तो दूसरी तरफ भारत ने इन प्रतिबंधों को मानने से इनकार कर रहा है। इतना ही नहीं वह रुस के साथ भविष्य में तेल आयात करने की तैयारी में है। ऐसे में इस मामले पर भारत की प्रतिक्रिया वॉशिंगटन के साथ उसके संबंधों में खटास ला रही है। भारत को चीनी प्रभाव का सामना करने के लिए अमेरिका के साथ की जरुरत है। उस स्थिति में भारत का अमेरिका के खिलाफ रुख सही नहीं है।