
इजराइल और अमेरिका के बीच दोस्ताना संबंध जगजाहिर हैं। इजराइल और फिलिस्तीन के बीच हर संघर्ष में अमेरिका इजराइल के साथ नजर आता है।
जब भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इजराइल के खिलाफ प्रस्ताव जारी करती है। अमेरिका उस पर वोट कर देता है। अमेरिका की बदौलत सुरक्षा परिषद में इजराइल के हितों की रक्षा हुई,
लेकिन अब अमेरिका इजराइल का साथ देने से पीछे हट रहा है। गाजा और इजराइल के बीच चल रहें युद्ध को खत्म करने के लिए वोट कराये जा रहे थे।
जिसमें अमेरिका अनुपस्थित रहा और वोट नहीं किया। इसी के साथ ही युद्ध समाप्त करने का निर्णय पारित हो गया है।
यह पहली बार था कि अमेरिका अपनी नीति से पीछे हटा और इस प्रस्ताव को रोकने की कोशिश की।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इस प्रस्ताव में कहा गया है कि गाजा में मानवीय सहायता भेजने के लिए या रोकने की मांग वाले प्रस्ताव को सुरक्षा परिषद के किसी भी अस्थायी या स्थायी सदस्य ने रोकने की कोशिश नहीं की है।
दोनों देशों को युद्ध समाप्त करना होगा ताकि लोगों को वह सहायता मिल सकें जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि लिंडा थॉमस-ग्रीनफ़ील्ड ने कहा कि सुरक्षा परिषद के कई सदस्य इज़राइल पर हमास के आतंकवादी हमलों की निंदा भी नहीं करते हैं।
ब्रिटेन ने यह भी कहा कि प्रस्ताव में हमास की आलोचना तक नहीं की गई। ग्रेट ब्रिटेन ने भी इस प्रस्ताव के मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
ब्रिटेन ने कहा कि गाजा में किसी निर्दोष को नहीं मारा जाना चाहिए, लेकिन हमास को भी दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।
मानवीय सहायता के लिए गाजा में युद्ध को तत्काल समाप्त करने की आवश्यकता है। हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन और रूस ने अपने-अपने कारणों से मतदान में हिस्सा नहीं लिया,
लेकिन गाजा में मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए युद्ध को समाप्त करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया है। सवाल उठता है कि क्या इजराइल के प्रति अमेरिकी नीति बदलेगी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका हाल ही में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी दबाव में है। अरब देश इस समय अमेरिका से काफी नाराज है।