India Canada Relations: जस्टिन ट्रुडो, कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री, जिन्होंने हाल ही में भारत पर हरजीत सिंह निज्जर की मौत की साजिश रचने का गंभीर आरोप लगाया है जिस कारन से भारत और कनाडा के रिश्तों में कड़वाहट बढ़ गयी है। भारत की तरफ से इन आरोपों को बेबुनियाद बताया गया है। इन सभी आरोपों के कारन भारत और कनाडा के रिश्तों में कड़वाहट बढ़ गयी है।
दोनों देशों ने कार्रवाई करते हुए अपने अपने राजनयिकों को निष्काषित कर दिया है। ट्रुडो कनाडा के तेइसवें प्रधानमंत्री हैं और दूसरे सबसे युवा नेता हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री का पद संभाला हो। आईये जानते हैं उनकी ज़िन्दगी की कुछ रोचक तथ्य।
जस्टिन ट्रुडो का जन्म 24 दिसंबर 1971 को हुआ था। वो कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री पिअर ट्रुडो एवं मार्गरेट ट्रुडो के ज्येष्ठ पुत्र हैं। उन्होने साहित्य में स्नातक कि डिग्री प्राप्त की है मक्गिल विश्वविद्यालय से और इसके साथ ही शिक्षा में भी स्नातक किया है। उनका विवाह सोफी ग्रेगोइरे से संपन्न हुआ है एवं उनके 3 बच्चें हैं।
वो 2008 में पहली बार लोकसभा संसद बने और ये सिलसिला 2011 एवं 2015 तक चला। अंत में साल 2015 में उन्होंने प्रधानमंत्री के चुनाव में अपनी लिबरल पार्टी को भारी मतों से जीत दिलाई। हाल ही में वो तीसरी बार कनाडा के प्रधानमंत्री बनने में कामयाब हुए हैं । हालाँकि उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं हुआ मगर वो न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी क समर्थन से अपनी सरकार बनाने में समर्थ रहे।
कनाडा में चल रहे खालिस्तान के समर्थन में होने वाली रैलियों पर ट्रुडो सरकार कोई कार्यवाही करती हुई नहीं दिख रही है। इस खालिस्तानी समर्थन के पीछे कई राजनितिक कारण हैं। कनाडा में सिखों की आबादी काफी ज़्यादा है और ट्रुडो उन्हें नाराज़ करने का जोखिम नहीं उठाना चाहते।
2021 में हुए राष्ट्रीय चुनाव में उनकी पार्टी का प्रदर्शन औसत ही रहा मगर वो अपनी सरकार बचाने में समर्थ रहें। सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि कनाडा में न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी जिसने बीते आम चुनाव में 24 सीटें जीतीं और फिलहाल ट्रुडो को अपना समर्थन दिया है। इस पार्ट्री के प्रमुख नेता जगमीत सिंह धालीवाल खालिस्तान का औपचारिक रूप से समर्थन करते नज़र आतें हैं। अगर ट्रुडो को सत्ता में रहना है तो खालिस्तानियों के प्रति नर्म रुख अपनाना होगा।
उनके एवं उनके पिता पिअर ट्रुडो को खालिस्तानियों का बचाव करने और उन्हें उनके देश में पनाह देनें के कारण भारत से सम्बन्धों में हमेशा खटास रही है। भारत-कनाडा के संबंधों में दरार तब आयी जब भारत ने अपना पहला नुक्लेअर परिक्षण करने में सफल रहा। इस परिक्षण में इस्तेमाल किये गए प्लूटोनियम कनाडा से ही आयात होते थे। तब कनाडा ने भारत क साथ परमाणु सहायता को निलंबित कर दिआ था।
जस्टिन के पिता के कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने एक आतंकवादी, तलविंदर सिंह परमार का बचाव किया जो आगे जाकर कनाडा के सबसे बड़े आतंकी हमले में सम्मिलित रहा। जून 23, 1985 में जब एयर इंडिया विमान 182 (कनिष्क) में बम विस्फोट हुआ और ३२९ यात्रियों ने अपनी जान गवां दी। इस हादसे के बाद भी पिअर की सरकार से परमार के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए जस्टिन भी खालिस्तानी समर्थकों का बचाव करते नज़र आतें हैं। इसका दुष्प्रभाव भारत और कनाडा के संबंधों पर पड़ने वाला है।
By: Harshita