Nepal: भारत में इन दिनों सनातन धर्म को लेकर काफी चर्चा हो रही है। सनातन धर्म को लेकर लोग अलग अलग बयान दे रहे हैं जिसके बाद देश में सनातन धर्म को लेकर बहस छिड़ी हुई है और इसी बीच नेपाल की सरकार द्वारा सरकारी डिक्शनरी से कुछ विशेष शब्दों को हटाने की कोशिश की जा रही है। इन शब्दों में से एक शब्द ॐ भी है, जो सनातन धर्म का प्रतीक भी है।
2016 से नेपाल में डिक्शनरी में बदलाव की कोशिश की जा रही है, अब इस मुद्दे को लेकर वहाँ की सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी भी बना दी है। हालांकि सनातन धर्म को मानने वाले लोगों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। चलिये जानते हैं क्या है पूरा मामला…
नेपाल की सरकारी डिक्शनरी से ॐ शब्द हटाने का मामला 2012 से चल रहा है। उस समय नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार थी। उस समय के शिक्षा मंत्री के आदेश पर डिक्शनरी में बदलाव के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही उन सभी शब्दों को हटाने का निर्णय लिया गया था, जिसमें ॐ, श्री के अलावा विद्या, बुद्ध, ब्राह्मण शामिल हैं।
सरकार के इस फैसले के विरोध सरकार में ही शामिल गठबंधन सोशलिस्ट फ्रंट द्वारा किया जा रहा है। नेपाली कांग्रेस के सांसद भंडारी इस मुद्दे पर खुलकर सरकार का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि ॐ शब्द हटाना सनातन संस्कृति पर हमले करने जैसा है।
सनातन धर्म में ॐ शब्द भगवान शिव जी का प्रतीक माना जाता है। ॐ शब्द बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है। हिंदी व्याकरण के अनुसार, ॐ शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है। अ उ म, इनमें से अ का अर्थ है उत्पन्न होना, उ का अर्थ है उठना और म का अर्थ है मौन हो जाना यानी कि ब्रह्मलीन हो जाना।
इस फैसले को लेकर एक वकील ने नेपाल की सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की है, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बार काउंसिल से इस पर अपनी राय देने के लिए क्यूरी भेजने का अनुरोध किया है। ज्यादा जानकारी के लिये देखें वीडियो.....