
Pakistan Crisis: आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान को आखिरकार उसके दोस्त चीन से सहारा मिल ही गया। बताया जा रहा है कि चीन ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) में मौजूदा शर्तों पर 700 मिलियन डॉलर जमा किए हैं, जिससे इस्लामाबाद का विदेशी मुद्रा भंडार और गिरावट से बच गया है। एआरवाई न्यूज ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।
सूत्रों ने एआरवाई न्यूज को बताया कि पाकिस्तान ने आईएमएफ को चीन के बैंक से मिले कर्ज के बारे में अवगत करा दिया है। बैठक के दौरान वैश्विक कर्ज संस्था ने बिजली और गैस बकाएदारों से वसूली योजना को लागू करने की मांग की। इसके साथ ही आईएमएफ ने बिजली घाटे में तत्काल सुधार की भी मांग की है।
पाकिस्तान 2019 में इमरान खान सरकार के दौरान आईएमएफ छह अरब डॉलर कार्यक्रम का हिस्सा बना था, जिसे पिछले साल बढ़ाकर सात अरब डॉलर कर दिया गया था। लेकिन आईएमएफ ‘बेल-आउट’ (स्वतंत्रता के बाद से 23वां) पैकेज के तहत 1.18 अरब डॉलर के वितरण को पिछले नवंबर में रोक दिया गया था, क्योंकि वैश्विक ऋणदाता ने महसूस किया था कि देश ने अर्थव्यवस्था को सही आकार देने के लिए राजकोषीय और आर्थिक सुधारों की दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं।
पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा चीन से कर्ज ले रखा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) द्वारा सोमवार को साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान का चालू खाता घाटा जनवरी में 90.2 फीसदी घटकर 0.24 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले साल इसी महीने में 2.47 अरब डॉलर था। आयात पर पाबंदी के साथ भुगतान संतुलन संकट ने देश को भुगतान चूक के कगार पर पहुंचा दिया है।
‘डॉन’ अखबार ने कुछ दिनों पहले बताया था कि दिसंबर के 0.29 अरब डॉलर की तुलना में घाटे में 16.55 फीसदी की कमी आई है। विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान, श्रीलंका की तरह आर्थिक संकट के करीब पहुंच रहा है और गहरे कर्ज में डूबे अफ्रीकी देश भी चीन के लिए एक तरह का संकट बन रहे हैं। कर्ज चूक से चीन को भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिसकी अर्थव्यवस्था सुस्ती का सामना कर रही है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के विदेशी ऋण चुकाने में चूक की संभावना के साथ गंभीर आर्थिक संकट में फंसते देख चीन ने बीते 20 फरवरी को कहा था कि वह इस संकट से निपटने के लिए अपने ‘सदाबहार मित्र’ द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन करता है। साथ ही चीन ने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान मुश्किल वक्त से निकलने में सक्षम होगा।