
राजनंदनी शर्मा -
राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के देश छोड़कर भागने के बाद श्रीलंका में लगातार प्रदर्शन किए जा रहे है। पीएम आवास, संसद भवन पर धावा बोलने के बाद उग्र भीड़ सरकारी न्यूज चैनल के दफ्तर में भी घुस गई। इतना ही नहीं एक प्रदर्शनकारी ने न्यूज़ स्टूडियो से लाइव भी किया। प्रदर्शनकारियों पर काबू करने के लिए हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी।
गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर भागने की खबरें सामने आईं तो पूरे श्रीलंका में गुस्सा भड़क गया। राजधानी कोलंबो में जमकर उत्पात किया जा रहा है। भीड़ में आक्रोश इतना ज्यादा था कि लोगों ने पीएम हाउस और नेशनल टीवी रूपवाहिनी के स्टूडियो पर कब्जा कर लिया। प्रदर्शनकारी लाइव टीवी पर आकर देश को संबोधित करने लगे। हालांकि बाद में चैनल ऑफ एयर हो गया।
फिलहाल के लिए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले में दखल देने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों पर हेलिकॉप्टर से नजर रखी जा रही है। इन पर काबू करने के लिए हवाई फायरिंग भी करनी पड़ी है।
श्रीलंकाई एयरफोर्स मीडिया डायरेक्टर ने कहा कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, फर्स्ट लेडी और दो बॉडीगार्ड्स को मालदीव जाने के लिए रक्षा मंत्रालय से इमीग्रेशन, कस्टम और बाकी कानूनों को लेकर पूरी अनुमति दी गई थी। 13 जुलाई की सुबह उन्हें एयरफोर्स का एक एयरक्राफ्ट उपलब्ध कराया गया था।
राष्ट्रपति के भाईबेसिल राजपक्षे को देश छोड़कर भागने की फिराक में थे, लेकिन एयरपोर्ट पर इमीग्रेशन स्टॉफ के विरोध के बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा।
देश में जहां एक तरफ जनता दाने-दाने के लिए तरस रही है, वहीं बासिल ने अमेरिका जाने के लिए 1.13 करोड़ श्रीलंकाई रुपए में बिजनेस क्लास के चार टिकट किए थे। गोटबाया को अमेरिका ने नहीं दिया वीजा, गोटबाया राजपक्षे श्रीलंका छोड़कर अमेरिका भागना चाहते थे, लेकिन अमेरिका ने उन्हें वीजा नहीं दिया।
गोटबाया राजपक्षे ने इस्तीफा देने से पहले शर्त रखी थी कि उन्हें देश से बाहर जाने दिया जाए। इसके कुछ घंटे बाद ही उनके देश छोड़ने की खबरें सामने आई। ऐसे में अब सवाल उठता है कि गोटबाया भागे या भगाए गए ? राजपक्षे ने 12 जुलाई को अपने इस्तीफे पर हस्ताक्षर कर सीनियर अधिकारी को सौंप दिया था। यह लेटर 13 जुलाई को संसद स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने को सौंपा जाना था। खबरें आईं कि भारतीय सेना ने गोटबाया को भागने में मदद की, लेकिन भारतीय दूतावास ने इन खबरों का खंडन कर दिया है।