WHO का मंकीपॉक्स को लेकर हेल्थ इमरजेंसी का ऐलान, जानें क्या हैं लक्षण और बचाव के उपाय

विदेशों में पैर पसारनें के बाद मंकीपॉक्स के कुछ मामलें केरल के बाद अब दिल्ली और तेलंगाना में भी सामने आए हैं इससे भारत में भी डर दहशत का माहौल पैदा हो गया हैं। अब WHO भी इसे लेकर गंभीर है
WHO का मंकीपॉक्स को लेकर हेल्थ इमरजेंसी का ऐलान, जानें क्या हैं लक्षण और बचाव के उपाय
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को लेकर स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है। केरल के बाद अब दिल्ली और तेलंगाना में भी इसके मामले सामने आए हैं। वह व्यक्ति जो दिल्ली में मंकीपॉक्स से संक्रमित पाया गया है। उनका अंतरराष्ट्रीय यात्रा का कोई हिस्ट्री नहीं है।

केरल में मंकीपॉक्स के तीन मरीज
इससे पहले केरल में मंकीपॉक्स के तीन मरीज मिल चुके हैं। ये तीनों मरीज यूएई से लौटे थे और वहां ये एक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए। अब ऐसे समय में यह सवाल उठ रहा है कि क्या देश में मंकीपॉक्स का कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो गया है?

1950 के दशक में बंदरों में पाया गया मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स कोई नई बीमारी नहीं है। यह पहली बार 1950 के दशक के अंत में बंदरों के एक समूह में पाया गया था। वायरस वैरियोला (चेचक का प्रेरक एजेंट) और वैक्सीनिया वायरस (उपलब्ध चेचक के टीकों में से एक में प्रयुक्त वायरस) के समान जीनस का है। इसका प्रकोप 1958 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में बंदरों पर किए जा रहे एक शोध के दौरान हुआ था, इसी घटना के बाद सबसे पहले मंकीपॉक्स का नाम सामने आया था।

मंकीपॉक्स के फैलने में जानवरों की अहम भूमिका होती है। ऐसा माना जाता है कि यह वायरस इंसानों को बंदरों के संपर्क में आने या चूहों और खरगोशों जैसे जानवरों से फैलता है। पश्चिम अफ्रीका में पाया जाने वाला स्ट्रेन मध्य अफ्रीका के स्ट्रेन से कम गंभीर माना जाता है। क्लैड 2 IE अफ्रीकी स्ट्रेन पूरी दुनिया में फैल रहा है।
डॉ. धीरेन गुप्ता इंटेंसिविस्ट और सीनियर कंसल्टेंट

मंकीपॉक्स से कैसे संक्रमित हो सकते है?

जानवरों (बंदर, गिलहरी, जंगली कृन्तकों) या संक्रमित व्यक्तियों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से फैलता है । यह हवा से नहीं फैलता है, लेकिन अगर कोई संक्रमित रोगी के 3 घंटे तक 2 मीटर के संपर्क में है, तो ड्रॉपलेट्स के जरिए संक्रमण जा सकता है। यह चेचक (smallpox) और छोटी माता (chickenpox) से कम संक्रामक है।

मंकीपॉक्स के लक्षण?
मंकीपॉक्स वायरस की इन्क्यूबेशन अवधि 6 से 13 दिनों की होती है। कभी-कभी यह 5 से 21 दिनों तक हो सकता है। इन्क्यूबेशन अवधि का मतलब है कि संक्रमित होने के बाद लक्षण दिखने में कितने दिन लगे। संक्रमित होने के पांच दिनों के भीतर बुखार, तेज सिरदर्द, सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। मंकीपॉक्स शुरू में चेचक, चिकनपॉक्स या खसरा जैसा दिखता है। एक से तीन दिन के बुखार के बाद त्वचा पर इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। शरीर पर दाने निकल आते हैं। हाथों, पैरों, हथेलियों, पैरों के तलवों और चेहरे पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं। ये फुंसी घाव की तरह दिखते हैं और अपने आप सूख कर गिर जाते हैं।

सबसे ज्यादा मंकीपॉक्स से खतरा किसे है?

  • मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले पुरुषों में देखे गए हैं।

  • डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एलजीबीटीक्यू समुदाय के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों को अधिक खतरा होता है।

  • जो व्यक्ति लंबे समय से रोगी के निकट संपर्क में है तो ड्रॉपलेट्स के जरिए मंकीपॉक्स फैल सकता है

  • लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को भी इसका खतरा अधिक होता है।

यह वर्तमान में एक ऐसा प्रकोप है, जो पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में केंद्रित है। खासकर उन लोगों में जो एक से ज्यादा लोगों के साथ सेक्स करते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि सभी देश पुरुषों के समुदायों के साथ मिलकर काम करें।
डॉ. टेड्रोस डब्ल्यूएचओ

इसे सिर्फ यौन संचारित रोग (एसटीडी) नहीं कहा जा सकता है। फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि यह बीमारी सिर्फ एक एसटीडी है, या केवल यौन संपर्क के जरिए यौन संचारित रोग है। यह एचआईवी की तरह नहीं फैलता है।

प्रोफेसर डॉ. संजय राय एम्स

कैसे करें मंकीपॉक्स से बचाव

अपने आप को तीन सप्ताह के लिए कमरे में अलग-थलग कर लें, जब तक कि सारे घाव न निकल जाएं। आमतौर पर मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण की अवधि 5 से 13 दिनों तक होती है, लेकिन यह 4 से 21 दिनों तक हो सकती है।

75 देशों में 16 हजार से ज्यादा मामले
इस साल की शुरुआत में 47 देशों से डब्ल्यूएचओ को मंकीपॉक्स के 3040 मामले सामने आए थे। तब से इसका प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है और अब 75 देशों और क्षेत्रों से 16 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इसमें पांच मौतें भी हो चुकी हैं। डॉ टेड्रोस ने कहा कि 1970 में कांगो गणराज्य में पहला मामला सामने आने के बाद से, विशेषज्ञों ने पिछले 50 वर्षों में इसे एक दर से फैलते नहीं देखा है। कई अफ्रीकी देशों में इसका प्रकोप था, 2003 में अमेरिका में भी इसका प्रकोप देखा गया था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जूनोटिक रोगों के संचरण में वृद्धि हुई है। चाहें कोविड-19 हो या कोई और बीमारी।

मंकीपॉक्स के लिए वैक्सीन

डॉ. राय के अनुसार, मंकीपॉक्स के जोखिम को कम करने के लिए दो टीके उपलब्ध हैं, जो मंकीपॉक्स के जोखिम को कम कर सकते हैं। संशोधित वैक्सीनिया अंकारा (MVA) वैक्सीन (संयुक्त राज्य अमेरिका में JYNNEOS, यूरोपीय संघ में IMVANEX, और कनाडा में IMVAMUNE) और ACAM2000 वैक्सीन। चेचक का टीका केवल मंकीपॉक्स से 82-85% सुरक्षा प्रदान करता है।

मंकीपॉक्स को LGBTQ से जोड़ने पर बहस

मंकीपॉक्स को LGBTQ समुदाय से जोड़ने पर दुनिया भर में बहस चल रही है, जिससे इस समुदाय के लोगों में आक्रोश है। जानकारों का कहना है कि किसी खास समूह के लोगों को दोष देना ठीक नहीं है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ को इसे यौन संचारित रोग घोषित करने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए। संक्रमण रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा का कहना है कि यह 21वीं सदी का यौन संचारित रोग है। एचआईवी एमएसएम (पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष) आबादी के बीच शुरू हुआ, लेकिन जल्द ही विषमलैंगिकों में फैल गया, जैसा कि मंकीपॉक्स के मामले में होता है। डॉ. ईश्वर गिलाडा का सुझाव है कि एचआईवी नियंत्रण और उपचार कार्यक्रम में सफलताओं को देखते हुए NACO (राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन) को कदम उठाने का समय है।

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