कौन हैं अल-जज़ीरा की पत्रकार शिरीन अबू अकलेह जो थीं फ़िलिस्तीनियों की अवाज‚ जिन्हें दुनियाभर में किया जा रहा याद

हिंसा की रिपोर्टिंग के बीच खतरों का सामना करने के सवाल पर एक बार अबू अकलेह बोलीं थी कि मौत हमेशा आपसे थोड़ी ही दूरी पर होती है...। मैं मुश्किल समय में अपने डर से बाहर निकलती हूँ.... मैंने लोगों के क़रीब रहने के लिए पत्रकारिता के पेशे को चुना था....। सच्चाई को बदल देना संभवत: मेरे लिए आसान नहीं है..., लेकिन मैं कम से कम उस आवाज़ को दुनिया तक तक तो पहुँचा ही सकती हूँ...."
कौन हैं अल-जज़ीरा की पत्रकार शिरीन अबू अकलेह जो थीं फ़िलिस्तीनियों की अवाज‚ 
जिन्हें दुनियाभर में किया जा रहा याद
Photo | अल-जज़ीरा

AFP की खबरों और दुनियाभर के विभिन्न टीवी पर चली फुटेज में शुक्रवार को देखा गया कि कैसे युरुशलम (Jerusalem) में कई फिलिस्तीनियों पर अस्पताल से एक महिला पत्रकार (Al Jazeera reporter Shireen Abu Akleh) के ताबूत को लेकर निकलते समय कैसे इजराइली पुलिस ने कहर बरपाया। ये अल जजीरा मीडिया की महिला पत्रकार शिरीन अबू अक़लेह का ताबूत था वो भी फिलिस्तीन की थी। जैसे ही लोग ताबूत को लेकर निकलने लगे इजराइल फोर्स (Israeli security forces) ने सभी को तितर-बितर करने की कोशिश की। इस दौरान अल जज़ीरा के रिपोर्टर शिरीन अबू अकलेह का ताबूत लगभग जमीन पर गिरते-गिरते बचा। भीड़ को खदेड़कर इजराइल फोर्स ने सभी से फिलिस्तीन झंडे छीन लिए।

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एएफपी की रिपोर्ट में देखा गया कि इजराइली सेना ने इजराइल से जुड़े ईस्ट यरुशलम में सेंट जोसेफ अस्पताल ग्राउंड में प्रवेश किया और ताबूत को लेकर जारे लोगों को तितर बितर करने लगे। इजरायली पुलिस की ओर से इस पर फिलहाल कोई सफाई नहीं दी गई।
दरअसल कतर के ब्रॉडकास्टर्स अल-जज़ीरा में खबरों के लिए रिपोर्टिंग करने वाली शिरीन अकलेह बुधवार 11 मई को वेस्ट बैंक के जिनिन में इजराइली रेड को कवर करने के मकसद से पहुंची थीं। इधर अल-जज़ीरा ने बतताया कि इजरायल के सुरक्षाबलों ने जानबूझकर अकलेह को गोली मारी थी। वहीं अल-जज़ीरा ने बताया कि इस हमले में एक और पत्रकार भी घायल हो गया था।
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अबू अक़लेह दो दशकों से थीं फिलिस्तीनियों की आवाज
पूर्वी यरुशलम में रहने वाली अबू अक़लेह (Palestinian American Shireen Abu Akleh) बीते 20 साल से कतर के ब्रॉडकास्ट चैनल अल-जज़ीरा पर फिलिस्तीनियों की आवाज़ थीं। यरुशलम पोस्ट ने अपनी खबर में बताया कि फ़लस्तीनियों के लिए अक़लेह एक पत्रकार से कहीं ज्यादा थीं। वो उन कुछएक फ़लस्तीनी महिला पत्रकारों में से एक थीं, जो धरातल से रिपोर्टिंग करती थीं। खासतौर पर यरुशलम और वेस्ट बैंक से तो उनकी रिपोर्टिंग ग्राउंड लेवल की हुआ करती थी। उनके कुछ सहयोगी उन्हें "फिलिस्तीनी युद्ध संवाददता" तक कहकर पुकारते थे।
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अबु अकलेह के जरिए दुनिया के सामने आई थीं अल अक्सा मस्जिद में हिंसा

51 साल की अबु अकलेह ने हाल ही में अल-अक्सा मस्जिद कैंपस, दमास्कस गेट और शेख़ जर्राह में छिड़ी हिंसा को भी बेहतर तरीके से कवर किया था। जिसके बाद दुनियाभर में अल अक्सा मस्जिद में हुई हिंसा की खबर फैली थी।
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यरुशलम पोस्ट के मुताबिक हिंसा की रिपोर्टिंग के बीच खतरों का सामना करने के सवाल पर एक बार अबू अकलेह बोलीं थी कि मौत हमेशा आपसे थोड़ी ही दूरी पर होती है...। मैं मुश्किल समय में अपने डर से बाहर निकलती हूँ.... मैंने लोगों के क़रीब रहने के लिए पत्रकारिता के पेशे को चुना था....। सच्चाई को बदल देना संभवत: मेरे लिए आसान नहीं है..., लेकिन मैं कम से कम उस आवाज़ को दुनिया तक तक तो पहुँचा ही सकती हूँ...."
अल-जज़ीरा की सीनियर पत्रकार अबू अकलेह

इजराइल ने किया दावों को खारिज

इजराइली सेना ने अल-जज़ीरा की ओर से किए जा रहे दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। इजराइल सेना ने कहा है कि अक़लेह की जान की जान फिलिस्तीन पक्ष की ओर से की गई फ़ायरिंग में के दौरान गई।
इधर टाइम्स ऑफ़ इजराइल ​की रिपोर्ट के मुताबिक फिलिस्तीन सोशल मीडिया एक्सपर्ट और नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज़ संस्थान के रिसर्च फ़ेलो ओरित पेरलोव ने बताया कि इसे लेकर सोशल मीडिया पर बदले मांग उठाई जा रही है, इससे आतंकवादी हमले को रोकने की जरूरत शुरू होती है।
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आखिर शिरीन अकलेह को किसने मारा? इजराइल या फिलिस्तीन ने
अल-जज़ीरा ने अपनी रिपोर्टर की मौत होने की पुष्टि की बात में ये बयान दिया कि शिरीन अकलेह वेस्ट बैंक में इसराइल फोर्स (आईडीएफ) की फायरिंग में मारी गईं। उधर कई न्यूज़ रिपोर्ट्स और न्यूज एजेंसी ने भी इसी दावे की पुष्टि की। एक अन्य फ़लस्तीनी जर्नलिस्ट अली समूदी ने भी अकलेह की मौत की पुष्टि की। दरअसल अली समूदी भी हमले में घायल हो गए थे। अब उनकी हालत स्थिर है।

इजरायली सपोर्टर्स ने वीडियो जारी कर दी सफाई

समूदी ने बताया कि अचानक इसराइली सेना ने उनपर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इजराइली सेना ने बेरहमी से अकलेह हत्या की। समूदी ने बताय कि एक बुलेट उन्हें भी लगी और दूसरी शिरीन को लगी थी। हालांकि इसके बाद इजराइल सपोर्टर्स ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया था।​ जिसमें गन थामे एक फिलिस्तीन को ये कहते हुए दिखाया गया कि उन्होंने एक इजराइली सैनिक को निशाना बना दिया। इजराइली सपोर्टर्स ने वीडियो को इस दावे के साथ शेयर किया कि फ़लस्तीनियों ने ही अबू अकलेह की जान ली।
उधर पत्रकार की मौत के बाद इजराइली विदेश मंत्री येर लेपिड ने फिलिस्तीनी एडमिनिस्ट्रेशन के समक्ष मौत की वजह की जांच कराने के लिए जॉइंट इंन्वेस्टिगेशन कराने का प्रस्ताव रखा था जिसे सरकार ने खारिज कर दिया।
वेस्ट बैंक में एक इजरायली सेना की छापेमारी को कवर करते हुए मारे जाने के दो दिन बाद, 13 मई, 2022 को यरूशलेम के ओल्ड सिटी में मारी गई सीनियर अल-जज़ीरा पत्रकार शिरीन अबू अकलेह के अंतिम संस्कार के दौरान शोक व्यक्त करने वाले इजरायली सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष करते हुए।
वेस्ट बैंक में एक इजरायली सेना की छापेमारी को कवर करते हुए मारे जाने के दो दिन बाद, 13 मई, 2022 को यरूशलेम के ओल्ड सिटी में मारी गई सीनियर अल-जज़ीरा पत्रकार शिरीन अबू अकलेह के अंतिम संस्कार के दौरान शोक व्यक्त करने वाले इजरायली सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष करते हुए।(Photo by GIL COHEN-MAGEN / AFP)
वहीं इजराइली सपोर्टर ने अब कहा है कि फिलिस्तीनी सच नहीं जानना चाहते हैं और वे इस हादसे का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए करना चाहते हैं। वहीं फिलिस्तीनी के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा है कि अबू अकलेह की मौत के लिए इजराइली ही पूरी तरह से जिम्मेदार है। इसपर इजराइल के राष्ट्रपति नेफ्टाली बेनेट ने अब्बास के बयान को आधारहीन करार दिया है। नेफ्टाली ने कहा कि हमारे पास पुख्ता जानकारी है उसका प्रबल अनुमान है कि पत्रकार की मौत फिलिस्तीनी पक्ष के हमले से ही हुई है।

OIC ने भी इजराइल को पत्रकार की मौत का दोषी माना

इधर इस्लामिक देशों के ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने अल-जज़ीरा की सीनियर कॉरसपॉन्डेंट शिरीन अबू अकलेह की मौत की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की घटना ने अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और नियमों का उल्लंघन किया है। ओआईसी ने इस मामले में इजराइल को दोषी मानते हुए प्रेस और मीडिया की आज़ादी का उल्लंघन भी बताया है। ओआईसी ने कहा कि ये सच्चाई को दबाने के लिए किया गया।

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