करीब 11 साल पहले इस व्यक्ति को ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे में मृत घोषित कर दिया गया था। लेकिन आपको हैरानी होगी कि अब अचानक अमृत्व चौधरी को सीबीआई ने ढूंढ निकाला है और हाल ही में उनसे एक मामले में पूछताछ भी की गई. उत्तरी कोलकाता के जोराबगान इलाके की रहने वाले अमृत्व चौधरी से रविवार को सीबीआई ने कई घंटों तक पूछताछ की. आरोप है कि अमृत्व चौधरी ने धोखे से अपनी बहन को सरकारी नौकरी दिलाने में मदद की थी।
यहां आपको बता दें कि ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस हादसे में 148 यात्रियों की
मौत हो गई थी. इतना ही नहीं मरने वालों की सूची में शामिल अमृत्व
चौधरी के परिजनों ने भी राज्य व केंद्र सरकार से मिलने वाली
मुआवजे की राशि ले ली थी. फर्जी नौकरी के मामले में अमृत्व के
पिता मिहिर चौधरी से भी सीबीआई की टीम ने पूछताछ की है.
इस खुलासे के बाद अब अमृत्व चौधरी ने मीडिया के सामने स्वीकार किया है कि वह मुआवजे के तौर पर मिली सरकारी राशि और वह भी ब्याज सहित लौटाने को तैयार हैं. अमृत्व का यह भी कहना है कि उनकी बहन नौकरी से इस्तीफा दे देंगी। अमृत्व के मुताबिक उन्हें इस मामले में फंसाया गया है.
सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक अमृत्व चौधरी को मुआवजे के तौर पर मिली रकम का इस्तेमाल उन्होंने अपने धंधे में किया. आपको यहां बता दें कि 28 मई 2010 को पश्चिम मिदनापुर जिले में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस के 13 डिब्बे पटरी से उतर गए थे. ट्रेन के 5 डिब्बे दूसरे ट्रैक पर गिरे थे. जिसके बाद विपरीत दिशा से आ रही एक मालगाड़ी ने उस ट्रैक को टक्कर मार दी. इस भयानक ट्रेन हादसे में 148 यात्रियों की मौत हो गई और करीब 200 यात्री घायल हो गए।
भीषण हादसे के बाद लाशों की हालत इतनी खराब हो गई थी कि कई लोगों की शिनाख्त नहीं हो पाई थी. कई मृतकों के परिजनों का कहना था कि ठीक से शिनाख्त नहीं हो पाने के कारण किसी और ने उनके चाहने वालों का शव ले लिया और उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया. कई सालों तक मृतकों की शिनाख्त की कोशिश की गई और डीएनए टेस्ट भी कराया गया.
सीबीआई अधिकारियों का कहना है कि फर्जी नौकरी दिलाने के इस मामले में शामिल लोगों ने उसी हादसे के बाद अमृत्व चौधरी को मृत घोषित कर दिया था. इतना ही नहीं, स्कैमर्स ने डीएनए सैंपल भी पेश किए थे और दावा किया था कि यह अमृत्व के रिश्तेदारों से मेल खाता है। मामला तब सामने आया जब दक्षिण-पूर्व रेलवे के निगरानी विभाग ने मामले की जांच की। सीबीआई ने इस मामले में नौ जून को मामला दर्ज किया था। पुलिस को आशंका है कि इसमें रेलवे के कुछ कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। सीबीआई यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अमृत्व चौधरी के नाम पर किसकी डेड बॉडी हैंड ओवर की गई थी और वो डीएनए सैंपल किसका था।