न्यूज – बिहार विधानसभा में चपरासी, माली, सफाईकर्मी और गेटकीपर जैसे 166 पदों के लिए करीब 5 लाख आवेदन मिले हैं, यानी एक पद के लिए 3 हज़ार लोगों ने आवेदन किया है, दुर्भाग्य की बात ये है…आवेदन देने वाले 5 लाख युवाओं में ऐसे युवा काफी संख्या में हैं जिनके पास बड़ी बड़ी डिग्रियां है।
हमारे देश में इंजीनियरिंग और MBA जैसी डिग्रियां रखने वाले युवा भी चपरासी, माली और सफाईकर्मी की नौकरी के लिए आवेदन करने पर मजबूर हैं। कोई इंजीनियर है, किसी के पास MBA की डिग्री है, लेकिन बड़ी बड़ी डिग्रियां हासिल करने वाले युवाओं को,चौथी पास की योग्यता वाली नौकरी के लिए,आवेदन करना पड़ रहा है, ये दुख और चिंता का विषय है।
आवेदन करने वाले छात्राओं का कहना है कि बेरोजगारी के कारण वह इस नौकरी के लिए आवेदन करने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि उच्च शिक्षा की डिग्री वाले लोगों को प्राइवेट सेक्टर में 10,000 की नौकरी भी नहीं मिलती है।
बेरोजगारी की समस्या अकेले बिहार में ही नहीं बल्कि पूरे देश में ही है। इसलिए एमबीए और बीसीए डिग्री वाले लोग ग्रुप डी की नौकरियों के लिए आवेदन कर रहे हैं। हायर एजूकेशन वाले युवक चपरासी के रूप में काम करने के लिए तैयार हैं। इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण कुछ भी नहीं हो सकता। इस वैंकेसी में 14 पद ड्राइवर , 90 पद ऑफिस असिस्टेंट, और 20 पद स्वीपर सहित कुल 166 पद है।
युवाओं का देश कहे जाने वाले भारत में हर वर्ष 50 लाख से ज़्यादा युवा…Graduate या Post Graduate की पढ़ाई पूरी करते हैं….बेरोजगार युवाओं में सबसे बड़ा हिस्सा Graduate और Post Graduate की पढ़ाई पूरी करने वाले युवाओं का है.
एक निजी विश्वविद्यालय के रिसर्च में ये दावा किया गया…कि भारत में शिक्षित होना आपके रोजगार की गारंटी को आधा कर देता है . यानी अगर आप शिक्षित हैं तो आपके बेरोजगार होने की संभावना..दूसरों की तुलना में घटने की जगह बढ़ जाती है,
एक सर्वे के मुताबिक…भारत में उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले 85 प्रतिशत युवा किसी भी परिस्थिति में अपनी योग्यता सिद्ध नहीं कर सकते…सर्वे में 47 फीसदी शिक्षित युवा…रोज़गार के लिए अयोग्य माने गए, जबकि 65 फीसदी युवा क्लर्क का काम भी नहीं कर सकते, यहां तक कि देश के उच्च शिक्षित युवाओं में से 90 प्रतिशत को कामचलाऊ अंग्रेजी भी नहीं आती।
वर्ष 2020 तक देश के हर 10 में से 3 युवा उच्च शिक्षा हासिल करेंगे, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि उच्च शिक्षा को लेकर सरकार का लक्ष्य तो तय है लेकिन क्या इन पढ़े लिखे नौजवानों को रोजगार देने के लिए सरकार के पास कोई नीति है।