indian Railway: थूक से गंदगी नहीं फैलेगी, पौधे निकलेंगे

5, 10 रुपए में इन मशीनों से पीकदान पाउच खरीदा जा सकता है।
India's Suresh Raina is clean bowled by Sri Lanka's Dasun Shanaka during their first Twenty20 cricket match in Pune, India, Tuesday, Feb. 9, 2016. (AP Photo/Rajanish Kakade)
India's Suresh Raina is clean bowled by Sri Lanka's Dasun Shanaka during their first Twenty20 cricket match in Pune, India, Tuesday, Feb. 9, 2016. (AP Photo/Rajanish Kakade)

कोरोना महामारी के दौर में लागू सख्त प्रावधानों के बावजूद सार्वजिक स्थानों पर थूकना एक बड़ी समस्या बनी हुई है। इसके समाधान के लिए भारतीय रेलवे ने नया प्लान तैयार किया है। इसके तहत एक पॉकेट साइज रियूजेबल और बायोडिग्रेडबल थूकदान को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे गंदगी नहीं फैलेगी, बल्कि पेड़-पौधे निकलेंगे।

एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय रेलवे को इसके परिसों और ट्रेनों में पान-गुटखा और पीक के दाग हटाने के लिए हर साल 1,200 करोड़ रुपए और काफी मात्रा में पानी खर्च करना पड़ता है। रेलवे की ओर से 42 स्टेशनों पर पीकदान की बिक्री के लिए वेंडिंग मशीन लगाई जा रही है। 5, 10 रुपए में इन मशीनों से पीकदान पाउच खरीदा जा सकता है।

एक ऐसी सामग्री से लैस है जो लार में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस को लॉक कर देगी।

तीन रेलवे जोन वेस्टर्न, नॉर्दन और सेंट्रल ने एक स्टार्टअप इजीस्पिट को इसके लिए ठेका दिया है। इन पीकदानों को पॉकेट में आसानी से रखा जा सकता है। इसमें यात्री जब चाहें, जब चाहें, थूक या पीक फेंक सकते हैं और गंदगी भी नहीं फैलेगी। उत्पाद में मैक्रोमोलेक्यूल पल्प तकनीक है और यह एक ऐसी सामग्री से लैस है जो लार में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस को लॉक कर देगी।

औरंगाबाद म्यूनिसिपल कारपोरेशन से भी ठेका मिला है।

अलग-अलग साइज के इन पाउच को 15 से 20 बार इस्तेमाल किया जा सकता है। पाउच में पहल से मौजूद पदार्थ में बीज भी होगा, जो थूक को सोंख लेगा और इसे ठोस में बदल देगा। पाउच के पदार्थ को जब मिट्टी या कीचड़ में फेंका जाएगा, तो इससे पौधे निकलेंगे। नागपुर आधारित इस कंपनी ने इजीस्पिट वेंडिंग मशीनों को स्टेशनों पर लगाने की शुरुआत भी कर दी है। इन्हें नागपुर म्यूनिसिपल कारपोरेशन और औरंगाबाद म्यूनिसिपल कारपोरेशन से भी ठेका मिला है।

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