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जयपुर के गौरव ने UPSC में हासिल की 13वीं रैंक, कोरोना में 2 महिने रहना पड़ा, तो नही मिला तैयारी का समय, लेकिन नहीं मानी हार

Vineet Choudhary

डेस्क न्यूज़- यूपीएससी सिविल परीक्षा में जयपुर के गौरव बुडानिया ने 13वीं रैंक हासिल की है। गौरव मूल रूप से राजस्थान के चुरू के रहने वाले हैं। वर्तमान में जयपुर के गुर्जर की थड़ी क्षेत्र में रहते हैं। आरएएस परीक्षा 2018 में भी गौरव ने 12वीं रैंक हासिल की थी। पहले ही प्रयास में गौरव ने IAS के लिए सिविल मेन्स परीक्षा पास कर ली है। उन्होंने इसका श्रेय अपने स्वर्गीय ताऊ जी श्रवण कुमार बुडानिया, अपने माता-पिता और परिवार के सदस्यों को दिया। उन्होंने बताया कि यूपीएससी में बहुत प्रतिस्पर्धा है, इसलिए यहां कड़ी मेहनत के साथ-साथ स्मार्ट वर्क भी करना पड़ता है।

Photo | Dainik Bhaskar
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ताऊ जी ने किया प्रेरित

गौरव ने बीएचयू से माइनिंग इंजीनियरिंग की है। उन्होंने बताया कि हिंदुस्तान जिंक में प्लेसमेंट हो गया था, लेकिन मेरे ताऊ जी हमेशा बताते थे कि हम कैसे प्रशासन में वापस आ सकते हैं और समाज में वापस आ सकते हैं। आप अपने टैलेंट से इनोवेशन ला सकते हैं। समाज को ऐसे लोगों की जरूरत है जो जमीनी हकीकत को समझें। जो चीज मुझे प्रेरित कर रही थी, वह थी जमीनी हकीकत पर काम करना। परीक्षा में अपने प्रश्नों को 5 भागों में बाँटकर वह पुस्तक में जो पढ़ता था उसे 4 भागों में लिखता था, जबकि एक भाग में वह जमीनी हकीकत के बारे में लिखता था।

गौरव ने बताई अपनी पहली प्राथमिकता

गौरव ने बताया कि सेवा के दौरान मेरी तीन प्राथमिकताएं होंगी। पहली प्राथमिकता यह होगी कि जो भी मेरे पास मदद के लिए आएगा, मैं उसकी मदद करूंगा। कोई मुझसे निराश होकर न लौटे। मैं शिक्षा में सुधार और बाल और महिला अपराध को रोकने के लिए कुछ इनोवेटिव कदम उठाना चाहता हूं।

पॉजिटिव सोच के साथ करते रहे काम

परीक्षा को लेकर गौरव से बातचीत में उन्होंने कहा कि यह परीक्षा ऐसी है, जिसमें धैर्य रखना बेहद जरूरी है। इस बार कोरोना काल में मैं और पूरा परिवार बीमार हो गया। ताऊ जी का देहांत हो गया था। हम दो महीने अस्पताल में रहे। मैं केवल 10-15 दिनों के लिए साक्षात्कार की तैयारी कर पाया, लेकिन यह सब जीवन का एक हिस्सा है। आपको धैर्य के साथ अपने लक्ष्य पर नजर रखनी होगी। हमें सोचना होगा कि हम अच्छा करेंगे।

पिताजी हमेशा प्रेरित करते हैं

गौरव ने बताया कि पापा ने मुझे कभी डिमोटिवेट नहीं होने दिया। जब मैंने नौकरी छोड़ी तो उन्होंने मुझसे कहा कि आप अपना फैसला खुद लें। मैंने एमए करने का फैसला किया है। जबकि मैं इंजीनियरिंग में बीटेक था। बीटेक के बाद ज्यादातर छात्र एमटेक करते हैं या नौकरी करते हैं। फिर भी पापा ने मुझे मना नहीं किया। उन्होंने समर्थन करते हुए कहा कि आप अलग-अलग विषयों को पढ़ते, देखते और जानते हैं। मुझे लगता है कि परिवार ने बहुत सपोर्ट किया। मेरे जीजा भी मुझे फोन कर मोटिवेट करते रहे।

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